गतांक से आगे – जैन कर्म-सिद्धान्त नियतिवादी नहीं है और स्वच्छन्दतावादी भी नहीं है। जीव…
अधिक पढ़ेंदेश में जब जनगणना होती है, तब हमारे मन्दिरों में भी बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुए…
अधिक पढ़ेंबुद्धिजीवियों का यह कर्तव्य है कि वे समाजिक समस्याओं को सुलझाने में अपनी बुद्धि का…
अधिक पढ़ेंसंगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते।। अर्थात- हम…
अधिक पढ़ेंदक्षिण भारत में जैन धर्म की उपस्थिती के बारे में प्रायः अधिकांश लोगों को समुचित…
अधिक पढ़ेंज्ञानवर्णीय कर्म क्यो आया ? इसके आने के छह कारण हैं:- १.प्रदोष:- ज्ञानी की प्रशंसा…
अधिक पढ़ें“जैन“ – हम जैन है, लेकिन क्या हमें इस “जैन” शब्द की ताकत का अंदाजा…
अधिक पढ़ेंजैसा कि सब जानते हैं कि श्रीरामकृष्ण परमहंस परम तपस्वी परम ज्ञानी परम साधक परम…
अधिक पढ़ेंओम अर्हम नम: शरीर और भूख— दोनों एक साथ चलते हैं । इसलिए प्रत्येक शरीरधारी…
अधिक पढ़ेंहे दूरदर्शी तत्व के ज्ञाता- सांसारिक प्रत्येक जीव में प्रकाश है वायुमण्डल अथवा प्राकृतिक में…
अधिक पढ़ेंगतांक से आगे— *10 वे भव में श्री पार्श्वनाथ भगवान–* *इसी जम्बूद्वीप के दक्षिणार्थ भरतक्षेत्र…
अधिक पढ़ेंएक था मजदूर। मजदूर तो था, साथ-ही-साथ किसी संत महात्मा का प्यारा भी था। सत्संग…
अधिक पढ़ेंवर्तमान समय में छोटे बच्चों के माता-पिता यह सोचकर या लोगों को जताकर खुश होते…
अधिक पढ़ेंएक बार एक व्यक्ति रेगिस्तान में कहीं भटक गया । उसके पास खाने-पीने की जो…
अधिक पढ़ेंछल-कपट मायाचारी छिपती नहीं एक बहुत ही सुंदर वन था। जिसमें बहुत ही सुंदर वृक्ष…
अधिक पढ़ेंअखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा दिवंगत आत्माओं को श्रृद्धांजली अर्पित करते हुए संवेदना प्रकट करती…
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