क्या आपने कभी सोचा है – हम कौन हैं ? हमे यह मानव जीवन वो भी जैन कुल में क्यो और कैसे मिला ?
ध्यान से समझिए ….
एक सेकेंड में 100 अरब जीवों की उत्पत्ति होती हैं । परन्तु इन 100 में से 99 अरब जीव तिर्यंच गति ( पशु ,पक्षी ,कीट पतंगे,जलचर आदि )में चले जाते हैं ।
शेष एक अरब जीवों में से 99 करोड़ देव गति में चले जाते हैं ।
अब बचे एक करोड़ जीव,उनमे से 99 लाख नरक गति में चले जाते हैं ।
अब देखिए,बचे 1 लाख जीवों में से 99 हज़ार जीव तो मनुष्य भव में भी सम्यक् दृष्टि से रहित या कर्म – बंध में लिप्त होते हैं ।
बचे एक हज़ार जीव उनमें से 900 अनार्य देशों में जन्म लेते हैं (जहाँ जैन धर्म उपलब्ध नहीं है )।
अब बचे 100 जीव — इनमें से 99 को अजैन कुल में जन्म मिलता हैं ।
और वो बचा हुआ जीव- – – वही हम हैं- आपको और हमे यह दुर्लभ जैन कुल,आर्य क्षेत्र,धर्म उपलब्ध स्थान,और मनुष्य जीवन प्राप्त हुआ है ।
🙏🏻 सोचिए- – – हम 100 अरब में से केवल एक 1️⃣ है,जिसे ये सौभाग्य मिला है कि हमे जैन कुल मिला,हमे धर्मसार की शिक्षा मिली,हमे सत्संग,श्रवण,पूजन के अवसर मिले ।यह कोई साधारण बात नहीं है ।यह अन्नता अनंत जन्मो के पुण्य का फल है,जिसने यह अवसर दिया ।
अब क्या करें ?
इस दुर्लभ अवसर को व्यर्थ न करें । इस मानव जीवन और जैन कुल को सार्थक करे । अधिक से अधिक धर्माराधना करे ।
पढ़ना,सुनना,समझना और आत्मा का कल्याण करना — यह हमारा कर्तव्य है ।”मनुष्य भव “और “जैन कुल “- – इन दोनों को सफल बना दे अपने आचरण,संयम और साधना से ।
क्योंकि यह जीवन बार- बार नहीं मिलेगा- – – जैन कुल में जन्म— यह अवसर एक बार चूका ,तो करोड़ों कल्पों तक दोबारा नहीं मिलेगा ।
त्रिभुवन जैन
कोटा