श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

बदलाव होना चाहिए

आज का जीवन एक रंगमंच है, या कह सकते हैं कि रंगमंच ही जीवन है। यह सही है कि आज रंगमंच में नया लेखन गौण हो गया है। विभिन्न माध्यमों (पत्रिका, अखबार, सोशल मीडिया) के जरिये आम जीवन हो, संगठन हो, या सामाजिक मंच, आदि में जो परोसा जा रहा है, वह पूर्णतः पक्षपातपूर्ण या असत्य को सत्य का रूप देकर दिखाया जा रहा है।

यह त्रासदी है कि एक शिक्षित वर्ग और लेखक वर्ग को इन मंचों से पलायन करना पड़ रहा है, या उन्हें ऐसे मंचों से उपेक्षित कर दूर रखा जा रहा है।

आज के परिवेश में ऐसी सोच या परिस्थिति को बदलना पड़ेगा। ऐसे स्वच्छ एवं ईमानदार, निष्पक्ष लोगों को अग्रिम पंक्ती में लाकर बदलाव की नीव रखनी होगी। अन्यथा इस प्रकार के संगठन दूषित होकर समाप्त हो जायेंगे।

अगर बदलाव लाना है, तो खुद को बदलना होगा। अब समय आ गया है कि संविधान में बदलाव लाया जाए, चुनाव प्रणाली में परिवर्तन किया जाए। महासभा हो, शाखा हो, या महिला मण्डल, चुनाव केवल अध्यक्ष पद का होना चाहिए, जिससे कि इनकी गरिमा को आघात नहीं पहुंचाया जा सके। चुनाव की घोषणा होते ही समस्त पदाधिकारी और पत्रिका पदाधिकारी पदमुक्त हो जाएं, ताकि कोई भी पदाधिकारी अपनी बपोती न समझे।

महासभा के विकास और आर्थिक उन्नति के लिए भरसक प्रयास होने चाहिए, जिससे कि वर्तमान में जो कार्य चल रहे हैं और नवीन कार्य सुचारू रूप से सम्पादित किए जा सकें। अगर कोई भी व्यक्ति अवरोध करे या अनुशासनहीनता करे, उसे नजरअंदाज किया जाए ताकि महासभा का अन्तिम सदस्य भी गौरवान्वित महसूस करे।

समाज में भिन्न-भिन्न विचारों और मतों के लोग रहें, जिससे प्रतीत हो कि बगीचे में कई तरह के फूल खिले हैं। मगर आज हम देख रहे हैं कि चंद लोगों या विकृत मानसिकता वाले लोगों ने समाज में विष घोल दिया है। समाज के कल्याण के लिए वे चिंतित नहीं हैं; वे अपने नाम के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। परंतु अब समाज के प्रत्येक नागरिक को इन्हीं ने सोचने पर मजबूर कर दिया है। अतः अब बदलाव होना चाहिए।

समाज के चुनावों में, चाहे वह महासभा हो, शाखा हो, या मनोनीत सदस्य, चुनाव करने से पूर्व उस व्यक्ति के आचार, विचार, चरित्र, और स्वभाव तथा उसकी सम्पूर्ण पृष्ठभूमि का आंकलन किया जाना चाहिए। इससे समाज के कल्याण में सहायक लोग ही पदों पर आ सकें। अतः अब बदलाव होना चाहिए।

अखलेश जैन
(अलीपुर वाले)
जयपुर

This Post Has One Comment

  1. लक्ष्मीकांत जैन

    श्रीमानजी आपका सुझाव और मत एक शाखा के चुनाव तक तो बहुत सही है ।लेकिन केंद्रीय कमेटी के चुनाव में और कार्यकारिणी सदस्यों का ही चुनाव होना चाहिए ।फिर जो सदस्य चुनकर आए उन्हें अध्यक्ष मंत्री और कोषाध्यक्ष का चुनाव करना चाहिए ।जिससे चुनाव में फालतू खर्चा भी बचेगा और लोगो में गुटबाजी भी नहीं पनपेगी । समाज में इसे बहुत से लोग या पुराने स्थापित नेता है जो खुद चुनाव नहीं लड़ते लेकिन अपने पुराने गुट और पुराने प्रतिद्वंदी से प्रतिस्पर्धा नहीं छोड़ पाते और 7नका हस्तक्षेप चुनाव में भी होता है ।और आज की महासभा की इस हालत के लिए कह8 न कही वो बु9 जिम्मेदार है ।इसलिए अध्यक्ष मंत्री का चुनाव डायरेक्ट न करके कार्यकारिणी में से ही कराए तो ही आप कार्यकारिण8 को जिम्मेदार ठहरा सकते हो । जहां तक किसी भी संविधान के तहत बिना कार्यकारिणी का कोरम पूरा किए बिना कोई कोई भी सभा वैध नहीं होती वैसे ही बिना कार्यकारिणी में पास किए बिना कोई भी आमसभा नहीं हो सकती । 8आलिया कार्यकारिणी में बहुमत के हिसाब अध्यक्ष और मंत्री बनाए जाए ये मेरे व्यक्रिगत विचार है इसे किसी के पक्ष या विपक्ष से न जोड़ा जाए

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