एक बार किसी ने चाणक्य से पूछा की जहर क्या है तो चाणक्य ने बताया की आवश्यकता से अधिक हर चीज जहर है। फिर चाहे वह धन हो, दौलत हो, शोहरत हो, शक्ति हो, आलस्य हो या फिर वह ज्ञान ही क्यों ना हो। आवश्यकता से अधिक हर चीज जहर है ।
फिर सवाल उठता है कि आवश्यकता का मापदंड क्या है। हमने एक बहुत पुरानी कहावत सुनी है –
साइ इतना दीजिए जा में कुटुम समाय।
मैं भी भूखा ना रहूं साधु न भूखा जाए।।
गुरुवर श्री प्रमाण सागर जी महाराज कहते हैं कि तब तक ही पैसा कमाईये जब तक परिवार में सुख शांति बनी रहे, आपका शरीर स्वस्थ रहे, दिमाग दुरुस्त रहे, बच्चों और परिवार को समय दे सको। अगर आप सिर्फ पैसा कमाने में ही लगे हुए हो और अपने घर परिवार अपना स्वास्थ्य अपने शरीर और दिमाग पर ध्यान नहीं देते हैं तो फिर धीरे-धीरे यह सभी चीज आपसे दूर होती चली जाएगी। धन दौलत का महत्व तभी तक है जब तक आपके साथ आपका परिवार और शरीर साथ दे रहा है। गुरुवर कहते हैं पैसा अपनी जरूरत के लिए कमाओ और जरूरतमंदों के लिए कमाओ, अगर पैसा अधिक आ रहा है तो उसका सदुपयोग करो। दान धर्म में लगाओ तो उसका सदुपयोग है नहीं तो पैसा गलत कामों में तो अपने आप ही लग जाएगा। ज्यादा पैसा अपने साथ गलत आदतें भी लेकर आता है। वह पैसा या तो मौज मस्ती और अय्याशी में बर्बाद होगा या फिर बीमारियों में लग जाएगा इसलिए पैसे का सदुपयोग करो। उसका उपयोग करो, उपभोग करो, नहीं तो दान करो। एक जगह पड़ा पड़ा तो पानी भी सड़ जाता है।
इसी प्रकार आवश्यकता से अधिक हर चीज जहर है। अगर शक्ति ज्यादा है तो उसका किसी को मदद करने के लिए प्रयोग करो नहीं तो वह दूसरों को परेशान करने के लिए काम आती है। विनाश करने के लिए काम आती है। ज्ञान ज्यादा है तो उसे चरित्र में धारण करो नहीं तो वह ज्ञान गुरुर मैं परिवर्तित हो जाएगा और गुरूर हमारे पतन का कारण बन जाता है। इसी प्रकार व्यक्ति को शोहरत ज्यादा मिल जाती है तो वह लोगों को तुच्छ समझने लगता है और अगर इंसान के शरीर में आलस्य बढ़ जाता है तो वह निकम्मा बन जाता है। इसलिए आवश्यकता से अधिक हर चीज जहर होती है।
गुरुवर कहते हैं जिंदगी में अगर आप सुख और शांति से रहना चाहते हो तो अर्जन करने के साथ-साथ त्याग भी करते रहना चाहिए। हम जब एक सांस लेते हैं तो उसे जब तक छोड़ते नहीं है तब तक हम दूसरी सांस नहीं ले पाते हैं। एक सांस लेने के लिए दूसरी सांस को छोड़ना ही पड़ता है। भोजन करते रहे और उसका निस्तारण न हो तो वह हमारे शरीर में जहर बन जाता है। इसलिए हमेशा लेने और छोड़ने के बीच में तालमेल बनाकर चलना चाहिए जीवन सफल हो जाएगा।
महेंद्र कुमार जैन ( लारा )
शिवाजी पार्क अलवर