श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

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आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज का पट्टाचार्य महोत्सव कार्यक्रम – इंदौर

जैन धार्मिक नगरी के नाम से विख्यात शहर -इंदौर में 27 अप्रैल से 2 मई,2025 तक सुमति धाम जिनालय में आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज का पट्टाचार्य पद प्रतिष्ठा संस्कार समारोह आयोजित किया जा रहा है
सभी पांचों दिन होने वाले नियमित कार्यक्रमों में अभिषेक, शांतिधारा, प्रवचन ,स्वाध्याय एवं विधान,जाप माला,भक्ति एवं प्रतिक्रमण ,आरती ,प्रोजेक्शन मेपिंग, लेजर शो एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम नाटिका का आयोजन किया जा रहा है। इन नियमित कार्यक्रम के अलावा पत्रकार सम्मेलन, आदिनाथ भगवान पर नाटिका ,शास्त्र प्रदर्शनी,पट्टाचार्य पद प्रतिष्ठा संस्कार समारोह,साहित्य विमोचन,सम्राट खारवेल नाटिका,महावीर भगवान की गाथा पर नाटिका और गुणानुवाद सभा का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक दिन होने वाले कार्यक्रमों की समय सारणी के निम्न प्रकार है

प्रथम दिन दिनांक 27 अप्रैल को महावीर बाग, श्वेताम्बर जिनालय से सुमति धाम जिनालय , लगभग 5 किलोमीटर की भव्य शोभायात्रा ( घटयात्रा) के साथ सभी आचार्यो,मुनियों का ससंघ मंगल प्रवेश किया जाएगा। सुमति धाम जिनालय के पास 65 एकड़ भूमि पर महोत्सव के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग तीन मडंप (देशना मडंप ,वात्सल्य मडंप और आरती मडंप)बनाए गए हैं इन प्रत्येक मडंप में लगभग 50 हजार श्रावक श्राविकाओं की बैठने की समुचित व्यवस्था की गई है।
महोत्सव में अनेक आचार्यो, उपाध्यायों, मुनियों, आर्यिकाओ आदि लगभग 500 से अधिक पिच्छियों एवं 300 से अधिक ब्रह्मचारी भाई बहनों के उपस्थित होने की संभावना बतलाई गई है।
मुनि आदित्य सागर जी महाराज द्वारा इसकी तैयारी के दौरान सभी से निवेदन किया गया कि सभी पंथवाद और संतवाद से ऊपर उठकर एकजुट होकर इस कार्यक्रम को सफल बनाएं एवं बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता निभाएं।

महोत्सव स्थल पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन पंजीयन अनिवार्य किया गया है बिना बारकोड स्कैनिंग प्रवेश नहीं होगा।

महोत्सव के दौरान आचार्यश्री 108 विशुद्ध सागर जी द्वारा कुछ जेनेश्वरी दीक्षाएं भी प्रदान की जाएगी एवं 2,मई को समाधिस्थ गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज की 61वीं जन्म जयंती मनायें जाने के साथ कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।मेरा आप सभी से निवेदन है कि इस कार्यक्रम में भाग अवश्य लेवें।

” पट्टाचार्य “शब्द का अर्थ है कि आचार्य का उत्तराधिकारी या गुरु का उत्तराधिकारी। यह शब्द धार्मिक परंपराओं में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है,जहां एक गुरु अपने शिष्य को अपनी शिक्षाओं और अधिकारों को सौंपता है।
समाधिस्थ गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी ने समाधि से पूर्व अपने शिष्य आचार्य श्री108 विशुद्ध सागर जी महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, इसी संदर्भ में 30 अप्रैल को ‘अक्षय तृतीया’के दिन इस विशेष समारोह में आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज को पट्टाचार्य पद से सम्मानित किया जाएगा।

अशोक कुमार जैन
भू अ , शाखा –जयपुर

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