श्री राजीव रतन जी जैन,
महामंत्री,
अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा,
इन्दौर (मध्यप्रदेश)
महोदय,
विषय : जयपुर शाखा को प्राप्त जमीन के विवाद के सम्बन्ध में। सन्दर्भ: जयपुर शाखा को श्री पारस चन्द जैन से प्राप्त पत्र
दिनांक 3.6.2022 एवं 7.6.2022
उपरोक्त विषयान्तर्गत श्री पारस चन्द जैन, पूर्व मंत्री जयपुर शाखा के प्राप्त उक्त सन्दर्भित पत्रों एवं उनके साथ संलग्न आपकी दोनों जांच रिपोर्ट व अन्य पत्रों का अवलोकन किया गया।
महामंत्री जी जयपुर शाखा की नवीन कार्यकारिणी की दिनांक 8 जून 2022 को शाखा के भवन पर सायं 7.00 बजे मीटिंग आयोजित की गई मीटिंग में श्री पारस चन्द जैन के पत्रों को एवं दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखा गया और अधोहस्ताक्षरकर्ता द्वारा इनको पढ़ कर भी सुनाया गया और सदन को बताया कि इस विवाद के सम्बन्ध में जयपुर शाखा के ऊपर न्यायालय मैं वाद दायर किया हुआ है जिसकी न्यायालय में उपस्थित होने की तारीख 25 जुलाई 2022 है।
महोदय जैसा कि आपको विदित है कि जयपुर शाखा की नवीन कार्यकारिणी के चुनाव दिनांक 29 मई, 2022 को हुए है और नवीन कार्यकारिणी ने अभी हॉल ही में चार्ज लिया है। श्री पारस जी के उक्त पत्र के साथ संलग्न जयपुर शाखा के पत्र एवं दोनों जांच रिपोर्ट व अन्य पत्रादि का फौरीतौर पर अवलोकन करने पर प्रथमदृष्ट्या यह पाया गया कि जयपुर शाखा द्वारा महासभा अध्यक्ष को दिनांक 29.8.2021 एवं 9.4.2022 को पत्रों के माध्यम से इस विवाद से सम्बन्धित तथ्यों को क्लीयर करते आपको सभी वास्तविक तथ्यों से अवगत करवा दिया गया था। कार्यकारिणी द्वारा चर्चा उपरान्त पाया गया कि महासभा के द्वारा की जा रही कार्यवाही अनुचित है। कार्यकारिणी द्वारा आपसी विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से लिये गये निर्णयानुसार पत्र प्रेषित है।
महामंत्री जी इस विवाद का निपटारा शाखा के उक्त पत्रों के माध्यम से उसी समय हो जाना चाहिए था किन्तु खेद है कि आपके द्वारा इन पत्रों पर कोई कार्यवाही न कर इसके विपरीत कुछ लोगों के निहित स्वार्थ एवं इस विवाद को अनर्गल तूल देने के कारण यह विवाद न्यायालय तक पहुंच गया जो समाज हित में नहीं है।
उक्त विवाद के कारण इस स्कीम में भूखण्ड लेने वाले भूखण्डधरियों के साथ ही जयपुर समाज में जमीन विवादित होने व समाज के हाथ से जाने का भय व्याप्त हो गया है। इस कारण भखण्डधारियों के द्वारा बिल्डर पर खुद की जमीन बेचने का दबाव होने के कारण बिल्डर के द्वारा भी जयपुर शाखा को कानूनी नोटिस दिया गया है साथ ही इस विवाद के कारण बिल्डर द्वारा 7 लाख रुपये का डिमाण्ड नोटिस भी जयपुर शाखा को दिया गया है।
आप द्वारा भेजी गई दोनों जांच रिपोटों के अवलोकन करने पर यह पाया गया कि जांच रिपोर्टों में दिये गये तथ्य और रिकॉर्ड में दर्ज तथ्यों में भिन्नता है और रिकॉर्ड के अनुसार वास्तविकता इस प्रकार है:-
1. जांच समिति के द्वारा दिनांक 15.3.2018 को जयपुर शाखा की मीटिंग आहूत होना लिखा है जबकि शाखा रिकॉर्ड के अनुसार 15.3.2018 को जयपुर शाखा की कोई मीटिंग आयोजित ही नहीं की गई।
2. रिकॉर्ड के अनुसार दिनांक 16.12.2018 को श्री पारस चन्द जैन संयोजक के पद पर नहीं थे साथ ही अन्य तथ्य भी गलत है। इस सम्बन्ध में आपको पूर्व में ही जयपुर शाखा द्वारा अपने पत्र दिनांक 29.8.2021 के माध्यम से वास्तविक स्थिति से अवगत करवा दिया गया था। 3. इसी प्रकार जयपुर शाखा में आज दिनांक तक श्री पारस चन्द जैन के खिलाफ किसी भी तरह की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है तो पद के दुरूपयोग का सवाल ही पैदा नहीं होता है। 4. रिकॉर्ड के अनुसार प्रथम एम.ओ.यू. शाखा की दिनांक 23.4.2017 की मीटिंग में और द्वितीय एम.ओ.यू. दिनांक 16.1.2018 को आयोजित मीटिंग में शाखा कार्यकारिणी एवं जमीन समिति के द्वारा अनुमोदित किया गया था और इसी प्रकार तीसरा एम.ओ.यू. दिनांक 21.2.2018 को जमीन समिति के सदस्यों के द्वारा किया गया था न कि अकेले श्री पारस चन्द जैन के द्वारा। 5. जांच समिति के द्वारा दिनांक 20.6.2019 को जयपुर शाखा की मीटिंग आहूत होना लिखा है. जबकि शाखा रिकॉर्ड के अनुसार इस दिनांक को जयपुर शाखा की कोई मीटिंग आयोजित ही नहीं की गई।
6. शाखा रिकॉर्ड में जमीन प्राप्ति का कोई उल्लेख नहीं है जबकि इसकी जिम्मेदारी तत्कालीन शाखा अध्यक्ष और मंत्री की थी।
7. जांच रिपोर्ट के विवेचना में लिखा है कि “संयोजक श्री पारस चन्द जैन या किसी अन्य के द्वारा उपरोक्त विवादित भूखण्ड क्रय / आवंटन के विषय में कोई अनियमितता या बदनीयति (Malafid) कृत्य किये जाने का कोई अंदेशा सदस्यगणों द्वारा अभी भी बताया जाता है तो इस विषय में उनसे विस्तृत आरोपों आदि का विवरण लेकर कार्यकारिणी की बैठक में इस विषय पर विस्तृत चर्चा की जा सकती है क्योंकि संयोजक श्री पारस चन्द जैन को संस्था (अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा, शाखा जयपुर) के प्रस्ताव के द्वारा ही अधिकृत किया गया था इसलिये संस्था (अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा, शाखा जयपुर) को उनके द्वारा किये गये तत्संबंधी किसी भी कार्यकलाप पर विस्तृत चर्चा करके अपना निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है और इस विचारण के दौरान संस्था (अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा, शाखा जयपुर) को भेंट में मिले भूखण्ड के कारण हुई लाभ हानि व भविष्य में होने वाले खर्चे के लिए किसी व्यक्ति को उत्तरदायी मानती है यह तय करने का अधिकार भी संस्था (अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा, शाखा जयपुर) में निहित है।”
उल्लेखनीय है कि शाखा रिकॉर्ड के अनुसार श्री पारस चन्द जैन को जयपुर शाखा के द्वारा संयोजक बनाया गया था न कि अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा की कार्यकारिणी के द्वारा। अतः उक्त विवेचना के अनुसार यदि कोई शिकायत आदि कोई सदस्य देता है तो उस पर कार्यवाही करने का अधिकार अथवा उसका निपटारा करने का एक मात्र अधिकार सिर्फ और सिर्फ जयपुर शाखा को ही प्राप्त है।
अतः इस विवाद का निपटारा भी जयपुर शाखा के स्तर पर ही किया जाना था कि महासभा के द्वारा किन्तु ऐसा नहीं किया गया। महासभा के द्वारा श्री पारस चन्द जैन के खिलाफ कार्यवाही करने की जल्दीबाजी में इस रिपोर्ट की इतनी महत्वपूर्ण विवेचना को अनदेखा कर एकतरफा कार्यवाही करते हुए दोषारोपित किया
रहा है जो न्यायोचित नहीं है एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों के प्रतिकूल है और माननीय डॉ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट की सरासर अवमानना है।
इसी प्रकार द्वितीय जांच रिपोर्ट में दिये गये तथ्य भी रिकॉर्ड के अनुसार गलत है जो इस प्रकार है:-
1. पैरा 1 में दिये गये तथ्यों के संदर्भ में आज दिनांक तक शाखा को कोई शिकायत या किसी भी तरह की कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है।
2. पैरा 2 में दिये गये तथ्यों के सम्बन्ध में महासभा अध्यक्ष को भेजे गये जयपुर शाखा की निवर्तमान कार्यकारिणी के पूर्व पत्र दिनांक 29.8.2021 के द्वारा स्पष्ट कर दिया गया था कि यह जमीन की कार्यवाही प्रारम्भ करने से पहले बिल्डर द्वारा जो जमीन दिखाई गयी थी उसी जमीन की गिफ्ट डीड का पंजीयन करवाया गया है और यह जमीन रॉयल जैन सिटी के मध्य में स्थित है। वर्तमान कार्यकारिणी द्वारा रिकॉर्ड देखने पर यह बात सहीं पायी गई
है।
3. रिकॉर्ड के अनुसार तृतीय एम.ओ.यू. में स्पष्ट लिखा है कि बिल्डर द्वारा 4 हजार गज जमीन का जेडीए पट्टा देना था लेकिन पूर्व अध्यक्ष श्री राजेन्द्र जैन, कैमरी के द्वारा एमओयू के विपरीत जाकर गिफ्ट डीड करवायी गई। अतः जांच रिपोर्ट में यह लिखना भी गलत है कि बिल्डर एक इंच जमीन भी देने हेतु बाध्य नहीं था।
4. इसी जांच रिपोर्ट में श्री राजेन्द्र जैन, कैमरी का “तीन दिन में बिल्डर की शर्तें पूरी करने में असमर्थ थे” कथन भी गलत है क्योंकि इन्होंने अध्यक्ष पद की शपथ (02.9.2018) लेने के लगभग 13 माह बाद 14.10.2019 को एमओयू की शर्तों के विपरीत गिफ्ट डीड करवायी । 5. पैरा 6 में दिये गये तथ्यों के सम्बन्ध में रिकॉर्ड में कोई उल्लेख नहीं है किन्तु निवर्तमान कार्यकारिणी द्वारा महासभा को दिये गये पत्र में स्पष्ट लिखा है कि कार्यकारिणी एवं समाज के गणमान्य सदस्यों की उपस्थिति में रजिस्ट्री करवायी गई तो फिर सार्वजनिक करने में क्या परेशानी थी। अतः इस पैरा में दिये गये तथ्यों में विरोधाभास है।
इसी जांच रिपोर्ट की विवेचना में समिति द्वारा लिखे गये सभी तथ्य वास्तविकता से परे है। ऐसा लगता है कि समिति के द्वारा शाखा के रिकॉर्ड का अवलोकन ही नहीं किया गया है। 1. रिकॉर्ड के अनुसार श्री पारस चन्द जैन के द्वारा एमओयू की शर्तों में परिवर्तन नहीं किया बल्कि परिस्थितियांनुसार 4000 वर्ग गज जमीन को सुरक्षित करने के उद्देश्य से उस समय की कार्यकारिणी एवं जमीन समिति के द्वारा समाज हित में किया गया ।
2. रिकॉर्ड के अनुसार श्री पारस चन्द जैन के द्वारा प्रत्येक मीटिंग में जमीन से सम्बन्धी प्रगति से एवं सभी तथ्यों को डिटेल में सदन की पटल पर रखा गया जिसकी उपस्थित सदस्यों के द्वारा प्रशंसा भी की जाती रही है।
3. यह तथ्य भी गलत है कि श्री पारस चन्द जैन एक इंच जमीन भी समाज हित में प्राप्त करने में असफल रहे। क्योंकि रिकॉर्ड के अनुसार जयपुर शाखा को 3952.93 वर्ग गज जमीन बोरिंग और बाऊण्ड्रीवॉल सहित प्राप्त हो चुकी है जिस पर जयपुर शाखा का कब्जा है।
4. इसी विवेचना में यह तथ्य भी गलत है कि जमीन समिति एवं संयोजक ने शाखा अध्यक्ष को पूरी सूचनाएं नहीं दी। जबकि रिकॉर्ड के अनुसार प्रत्येक मीटिंग शाखा अध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित की गई है और इन मीटिंगों के मिनिट्स में जमीन से सम्बन्धित समस्त सूचनायें एवं अध्यक्ष जी के सुझाव भी अंकित है।
5. इसी प्रकार रिकॉर्ड के अनुसार श्री पारस चन्द जैन के विरूद्ध जयपुर शाखा में कोई निन्दा प्रस्ताव पारित नहीं किया गया बल्कि रिकॉर्ड के अनुसार दिनांक 15.10.2017 की मीटिंग में शाखा अध्यक्ष की घोर निदा की गई। जिसकी पुष्टि महासभा के तत्कालीन महामंत्री द्वारा की गई है।
6. इसी प्रकार रिकॉर्ड में आवंटन पत्र को जेडीए पट्टा बताने का कहीं भी उल्लेख नहीं है। अतः विवेचना में दिया गया तथ्यं सरासर गलत एवं झूठा है।
7. इसी विवेचना में यह भी लिखा है कि “समिति की राय में जयपुर शाखा द्वारा किया गया प्रथम एमओयू भी विधान सम्मत नहीं था।” जबकि इसी रिपोर्ट के द्वितीय पैरा में दर्शाया गया है कि “जांच समिति ने यह माना कि प्रथम मेमोरेण्डम ऑफ अण्डस्टेडिंग दिनांक 19. 4.2017 को जयपुर शाखा ने निष्पादित किया था कानूनी रूप से उचित था।” इस प्रकार जांच रिपोर्ट विरोधाभाषी है।
महामंत्री जी, यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त प्रकरण में शाखा रिकॉर्ड का फौरी तौर पर अवलोकन करने पर पाया गया कि शाखा रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई है जिसकी विस्तृत जांच शाखा के स्तर पर करवायी जाकर दोषियों के विरूद्ध विधिक कार्यवाही की जायेगी।
महामंत्री जी जमीन जयपुर शाखा की है तो इससे संम्बन्धित विवाद का निपटारा भी जयपुर शाखा के द्वारा ही किया जायेगा न कि महासभा के द्वारा जिस प्रकार महासभा के द्वारा जयपुर शाखा के जमीन सम्बन्धी कार्य में हस्तक्षेप किया जा रहा है वो किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। अतः महासभा के स्तर पर जमीन से सम्बन्धी विवाद की समस्त कार्यवाही तुरन्त प्रभाव से बन्द कर दी जावें क्योंकि अब इस विवाद का निपटारा जयपुर शाखा के स्तर पर ही किया जायेगा।
माननीय डॉ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार यदि कोई शिकायत आदि कोई सदस्य देता है तो उस पर कार्यवाही करने का अधिकार अथवा उसका निपटारा करने का एक मात्र अधिकार सिर्फ और सिर्फ जयपुर शाखा को ही प्राप्त है।
अतः जयपुर शाखा कार्यकारिणी की दिनांक 08.06.2022 को आयोजित मीटिंग में सर्वसम्मति से लिये गये निर्णयानुसार अब इस विवाद का निपटारा जयपुर शाखा के स्तर पर ही किया जायेगा, जो कि माननीय डॉ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली जांच समिति की रिपोर्ट की विवेचनानुसार भी न्यायोचित होगा और नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों के अनुकूल भी है।
आपसे यह भी निवेदन है कि जयपुर शाखा द्वारा आपको दिये गये पूर्व पत्रों को एवं इस पत्र को श्री पल्लीवाल जैन पत्रिका में छपवा कर समाज में फैले भ्रम को दूर करने का श्रम करावें जिससे समाज में सौहार्द एवं समरसता का माहौल बना रहे।
पल्लीवाल पत्रिका में श्री पारस चंद जैन खेड़ली, पूर्व मंत्री जयपुर शाखा के खिलाफ जयपुर शाखा की जमीन संबंधित पल्लीवाल पत्रिका में बदनीयति से जो पत्र छापा था, उसके जवाब में जयपुर शाखा ने महासभा को 3 पत्र लिखे थे, जिनको तत्कालीन महासभा अध्यक्ष/मंत्री ने दरकिनार कर रखा था, वो आज डिजिटल पत्रिका में प्रकाशित किए हैं, जिससे सारा मामला स्पष्ट हो गया है कि बेवजह तूल देकर जयपुर शाखा की जमीन के मामले में श्री पारस चंद जैन खेड़ली को बदनाम किया जा रहा था।
अध्यक्ष महोदय श्री त्रिलोक चंद जैन की जमीन संबंधित विस्तृत जांच रिपोर्ट से अब मामला क्लियर है, कि कहीं कोई विवाद है ही नहीं।