राजनीति मे रिश्तें हों तो
कोई तकलीफ नहीं…
किन्तु , रिश्तों में राजनीति
नहीं होनी चाहिए।
“समय” पर “समय” देने वाले
लोग “समय” पर मिल जाए, तो
“समय” को अच्छा होने में
“समय” नहीं लगता ।।
ऐसा व्यक्तित्व बनाओ….
उपस्थिति का पता न चले…!
परन्तु….
अनुपस्थिति का एहसास
अवश्य हो….!!
झाँक रहे है इधर उधर सब
अपने अंदर झांकें कौन!
ढूंढ़ रहे दुनियाँ में सब कमियां
अपने मन में ताके कौन!
दुनिया सुधरे सब चिल्लाते
खुद को आज सुधारे कौन!
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
खुद पर आज विचारे कौन!
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात स्वीकारे कौन!
जीवन का वही रिश्ता
सच्चा है
जो पीठ पीछे भी
सम्मान दे…
अभिमान इस बात
पर नहीं होना चाहिए
कि आपने किसी का सहयोग किया, बल्कि स्वाभिमान
इस बात पर होना चाहिए
कि ऊपर वाले ने आपको इस योग्य बनाया कि आप
किसी की मदद कर सको।
उपलब्धि और आलोचना एक दूसरे के मित्र हैं, यदि उपलब्धियां बढ़ेंगी तो आलोचना भी निश्चित रूप से बढ़ेगी….
हर व्यक्ति के पास जीवन का एक दर्शन होना चाहिए,
क्योंकि हर किसी के पास
एक मानक होना चाहिए,
जिसके द्वारा वह अपने
आचरण को माप सके।
और दर्शन,
कुछ और नहीं बल्कि
एक मापदंड है,
जिसके द्वारा उसे मापा जाता है।
“दर्द” एक संकेत है कि….
आप ज़िंदा हो,
“समस्या” एक संकेत है कि….
आप मजबूत हो,
“प्रार्थना” एक संकेत है कि…..
आप अकेले नही हो…
ज़िन्दगी में गलत लोगों से मिलने में कभी कतराना नहीं,
क्योंकि अगर गलत लोगों से मुलाकात ही ना होती,
तो सही लोगों की कभी
पहचान ही ना हो पाती।
जो हमेशा कहे कि
मेरे पास “वक्त” नहीं है ….
वह असल में “व्यस्त” नहीं
बल्कि “अस्त-व्यस्त” है ….
मुझे मत बताओ कि
लोगों ने मेरे बारे में क्या कहा,
मुझे ये बताओ कि
वे तुम्हें बताने में इतना सहज क्यों थे?
कभी ना कहो कि दिन
अपने ख़राब है।
समझ लो कि हम काँटों
से घिर गए गुलाब है।
रखो हौंसला वो
मंज़र भी आयेगा,
प्यासे के पास चलकर
समंदर भी आयेगा।
थक कर ना बैठो, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर, मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा।
कोई काम शुरू करने से पहले स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए मैं यह क्यों कर रहा हूं इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊँगा और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाए तभी आगे बढ़े।
यह एक विधार्थी जीवन
की कड़वी सच्चाई है,
कि आजकल परीक्षा
के परिणाम में
विधार्थी कितने भी नंबर ला दे,
तब भी उसका परिवार
कभी खुश नहीं होता l
इसीलिए नंबर के बदले
सीखने पर ज्यादा ध्यान दें।
सब कुछ कॉपी हो सकता है लेकिन चरित्र, व्यवहार, संस्कार और ज्ञान नही।
आपकी डिग्री महज एक कागज का टुकड़ा है
आपकी असली शिक्षा आपके व्यवहार से दिखती है।
किसी को हराना, उसे अत्याधिक बताना अहंकार है, और खुद को उससे
बेहतर बनाना संस्कार है।
विचार कितने आते है वो महत्वपूर्ण नही, कैसे आते है,
वो महत्वपूर्ण है।
आपकी सोच, आपके विचारों के आकार को बताता है,
वहीं आपके बात
करने का लहजा,
आपके संस्कारों को बताता है।
किसी की बात को दिल
पर मत लीजिये,
जिसका जैसा संस्कार होता है
वैसा ही उसका व्यवहार
होता है!
जो दिन परिवार के साथ बीतें वो ज़िन्दगी है और जो दिन परिवार के बिना बीतें वो उम्र है।
ज़िन्दगी के दो पड़ाव अभी उम्र नहीं है अब उम्र नहीं है ।
जो कट गई, वो तो उम्र थी साहब । जिसे जी लिया, उसे जिंदगी कहिये।
समर्थन और विरोध केवल विचारो का होना चाहिए..
किसी व्यक्ति का नहीं…
क्योंकि अच्छा व्यक्ति भी गलत विचार रख सकता है..
और किसी बुरे व्यक्ति का भी कोई विचार सही हो सकता है…
अत: मतभेद कभी भी मनभेद नही बनने चाहिए।
जिंदगी की परीक्षा में ज्यादातर
लोग इसलिए असफल हो
जाते है क्योंकि वो दूसरो की नकल करते है पर वे यह नहीं
समझते कि सभी के पश्न पत्र भिन्न है।
जीवन में आपसे कौन मिलेगा,
ये समय तय करेगा। जीवन में आप किससे मिलेगें, ये आपका दिल तय करेगा, लेकिन जीवन में किस किस के दिल में बने रहेगें, यह आपका व्यवहार तय करेगा।
हर इंसान अपनी
जुबान के पीछे छुपा
हुआ है, अगर उसे
समझना है तो उसे
बोलने दो।
जिस व्यक्ति ने कभी
गलती नहीं की है,
उसने कभी कुछ नया
करने की कोशिश
नहीं की है।
गलतफहमियां,
गलतियों से भी ज्यादा
खतरनाक होती है।
विश्वास मौजूद है तो
“मौन” भी समझ आ जायेगा
और……
“विश्वास” नही है तो
“शब्दो” से भी गलतफहमी
हो जाएगी।
जब भक्ति में मन लगने लगे तो,
समझ लेना आपने भगवान को नहीं,
भगवान ने आपको चुना है!!!
चलती रहेगी दुनिया हमारे
बगैर भी,
एक तारे के टूटने से आसमां
खाली नहीं होता…..!
किसी को धोखा देकर ये
मत सोचो की वो कितना
बेवकूफ है,
ये सोचो की उसे तुम पर
कितना भरोसा था…!!
अपनी ऊर्जा उन लोगो पर खर्च करो जो तुम्हारी अच्छाई को समझते हों…
कमियाँ ढूँढने वालों को संतुष्ट करना नामुमकिन है !!!
रिश्तों को “ज़ेब” में नहीं
“दिल” में रखिये साहब!
क्योंकि समय से “शातिर”
कोई “जेबकतरा” नहीं
होता !!!
“तकलीफ” देने के बाद जताई
गई “हमदर्दी” और “नजरअंदाज”
करने के बाद दी गई “अहमियत”
कोई “मायने” नहीं रखती।
जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए
“ईमानदारी” और “सत्यनिष्ठा” बहुत ही आवश्यक है!
और सबसे अच्छी बात ये है कि इन दोनो गुणों
को कोई भी व्यक्ति अपने अंदर विकसित कर सकता है!
जो व्यक्ति अपनी निंदा
सुनने के बाद भी शांत रह सकता है,
वह सारे जगत पर विजय प्राप्त
कर सकता है!!
चलने वाले पैरों में कितना फर्क होता है!
एक आगे तो एक पीछे लेकिन न तो आगे वाले को अभिमान होता है और न ही पीछे वाले का अपमान क्योंकि उन्हें पता होता है कि कुछ ही समय में यह स्थिति बदलने वाली है इसी को जीवन कहते है!
“आदर” करो उसका
जिसने अपनी व्यस्तता में आपके
लिए समय निकाला हो,
परन्तु
“प्यार” करो उसको
जिसने अपनी व्यस्तता को नही देखा
जब आपको जरूरत थी उनकी!
” भाग्यशाली ”
वे नहीं होते
जिन्हे सब कुछ अच्छा मिलता है
बल्कि वे होते हैं
जिन्हें जो मिलता है, उसे वो अच्छा बना लेते हैं!
” व्यक्तित्व ” की भी
अपनी वाणी होती है,
जो कलम या जीभ के इस्तेमाल के बिना भी
लोगों के अंतर्मन को छू जाती है।
जब ” टेलीफोन ” और
” मोबाइल ” नहीं था तब
” हिचकी ” को ही हम
” मिसकाॅल ”
मान लिया करते थे।
ज्यादा बोझ लेकर चलने
वाले अक्सर डूब जाते हैं,
फिर चाहे वह बोझ क्रोध का हो, बदले का हो, अभिमान का हो या फिर धन का हो।
“अभिमान” कहता है कि
किसी की ज़रूरत नही है,
पर “अनुभव” कहता है कि
समय पर “धूल” की भी
ज़रूरत पड़ेगी……
“इंसान” जितना “आनलाइन” होता जा रहा है,
“इंसानियत” उतनी ही “आफलाइन” होती जा रही है।
समय…?
भावनाएं ही तो हैं
जो दूर रहकर भी
अपनो की
नजदीकियों का
एहसास कराती हैं
वरना दूरी तो
दोनो आंखो के
बीच भी है।
पहाड़ पर चढ़ने वाला व्यक्ति
झुककर चलता है,
और उतरने वाला अकड़ कर।
जो झुक रहा है
वो ऊँचाई की ओर बढ़ रहा है,
और जो अकड़ रहा है वो नीचे की ओर जा रहा है।
जिसे हृदय में स्थान दो उसको बार बार मत आजमाना…
क्योंकि जिस पेड़ से प्रेम होता है उसकी जड़ें खोद कर नहीं देखी जातीं !!!
“वाणी” और “पानी” दोनों में इंसान की
“छवि” नजर आती है।
पानी “स्वच्छ”
हो तो “चित्र” नजर आता है
और
वाणी “मधुर”
हो तो “चरित्र” नजर आता है।
अगर आप दु:ख पर ध्यान देंगे
तो हमेशा दुःखी रहेंगे और सुख
पर ध्यान देंगे तो हमेशा सुखी
रहेंगे, आप जिस पर ध्यान देंगे
वो चीज सक्रिय हो जाएगी और
आपके जीवन मे तुरंत प्रवेश
करना शुरू कर देगी, यही
कुदरत का नियम है।
राजनीति में हिस्सा न लेने का
सबसे बड़ा दंड यह है कि
मूर्ख व्यक्ति आप पर
शासन करने लगते है।
धोखा देने वाला सोचता है
कि उसने बहुत होशियारी की है
परन्तु उसे यह नहीं पता
चलता कि वास्तव में उसने
भरोसे का दरवाजा हमेशा के
लिए बंद कर दिया है।
पहचान बड़े लोगों से
नहीं
समय पर साथ
देने वालों से होनी
चाहिए।
लोगों को “परिणाम” से मतलब,
होता है प्रयास से नहीं….!!
और विडंबना यह हैं, कि हमारे,
हाथ में “प्रयास” है “परिणाम”,
नहीं….!!!
“रिश्ते” और “रास्ते” के बीच,
एक अजीब “रिश्ता” होता है।
कभी “रिश्तों” से “रास्ते” मिल
जाते है, और कभी “रास्तों” में
“रिश्ते” बन जाते हैं।
बुराई करने वालों का
हमेंशा सम्मान करना चाहिए
क्योंकि वे आपकी
अनुपस्थिति में आपके नाम को
चर्चा में रखते हैं….!
जीवन की इस कर्मभूमि में,
ठीक नहीं है बैठे रहना।
बहुत ज़रूरी है जीवन में
सबकी सुनना, अपनी कहना।
कर्मभूमि की इस दुनिया में,
श्रम सभी को करना है…
भगवान सिर्फ लकीरें देता है,
रंग हमें ही भरना है….।
कोई विश्वास तोड़े तो
उसका भी धन्यवाद करो,
क्योंकि वही लोग
हमें सिखाते हैं कि भरोसा
सोच समझ कर करना चाहिए…।
रिटायरमेंट किसी भी
रोड का अंत नहीं है,
बल्कि यह खुले हाइवे
की शुरुआत है।
ना समझ सके कभी
जीने का हिसाब-किताब,
उम्र में जितना जोड़ा उतनी
ज़िन्दगी घट गयी!!
बहुत मुश्किल नहीं है
ज़िन्दगी की सच्चाई समझना,
जिस तराज़ू पर दूसरों को तौलते है उस
पर कभी ख़ुद बैठ के देखिये!!
इस तरह जीना
चाहिए, जैसे हम
कल ही मरने वाले हैं।
इस तरह से सीखना
चाहिए, जैसे हम
वर्षो जीवित रहने
वाले हैं।
लोहे को कोई नष्ट नही कर सकता
बस उसका जंग उसे नष्ट कर
सकता है।
इसी तरह
आदमी को भी कोई और नहीं
बल्कि उसकी सोच ही नष्ट कर
सकती है।
“सोच” अच्छी रखो निश्चित
अच्छा ही होगा।
किसी की सफलता को
स्वीकार करना प्रेरणादायक
होता है और उसे अस्वीकार
करना घृणा का कारण बनता है!!!
जीवन में खुश रहने का
केवल एक ही मंत्र है,
उम्मीद केवल खुद से करें
औरों से नहीं,
कद्र उनकी करो जो
तुम्हारी कद्र करें,
ज्यादा गुलामी में इज्जत की
नीलामी हो जाती है,
ना जाने हम कौन-सी
शिकायतों का शिकार हो गए,
जितना दिल साफ रखा
उतना गुनाहगार हो गए।
दिन में एक बार
अपने दिल की अदालत में
ज़रूर जाया करें।
सुना है वहां कभी
गलत फ़ैसले नही होते।
गलती उसी से होती है
जो काम करता है,
कामचोरों की जिंदगी तो
दूसरो की बुराई खोजने
में ही खत्म हो जाती है।
गलत व्यक्ति
कितना भी मीठा बोले,
एक दिन आपके लिए
“बीमारी” बन जाएगा
अच्छा व्यक्ति
कितना भी कड़वा लगे,
एक दिन “औषधि”
बन कर काम आएगा।
किसी पर हँसने से बेहतर है
किसी के साथ हँसना। इससे
स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है
और सम्बन्ध भी …..!!
जीवन में रिश्तों की
संख्या नहीं, बल्कि
उनमें मौजूद अपनापन
मायने रखता है।
जिंदगी नहीं रुलाती यार,
रुलाते वे लोग हैं
जिन्हे हम जिंदगी समझ
लेते हैं।
“सत्य”
तेल की बूंद की तरह होता है,
कितने भी गहरे पानी में डालो,
छुपाने की कोशिश कीजिए,
वह ऊपर तैरता ही रहता है..
जब कोई अपने मन में आपकी
छवि ही ग़लत बना लें,
तो फिर आप चाहें कितने भी
अच्छा क्यों ना हों
आप उनके लिए हमेशा ग़लत
ही रहेगें……!!
चिरागों के अपने घर
नहीं होते साहब,
जहां जलते है वहीं
रोशनी बिखेर देते हैं।
जब रिश्ते में झूठ
और धोखा आ जाए
तो घर, घर तो रहता है,
मगर उसमें
अपनापन कहीं मर जाता है।
जिसे सबसे अधिक अपना समझा
अगर वही पराया निकले तो इंसान
रोता आँखों से नहीं है,
याद रखना, बेवफाई रिश्तों को नहीं
तोड़ती, वो इंसान के जीने का भरोसा
ही तोड़ कर रख देती है।
मनुष्य अब
व्यवहारिक
नहीं
व्यवसायिक हो चुका है।
रिश्ते
सिर्फ उनसे ही मधुर है,
जिनसे लाभ अधिक है।
अंधभक्त होना कोई मामूली
काम नही है….!
उसके लिए प्रचंड मूर्ख
होना अनिवार्य है……!!
सम्मान हमारे व्यक्तित्व का सबसे
अहम अंश है ये एक निवेश की तरह है
जितना हम दूसरों को देते हैं
वो हमें ब्याज सहित वापस मिलता है।
स्कूल से लेकर हाॅस्पिटल
तक सबको प्राइवेट पर भरोसा है,
बस जमाई,
और कमाई सरकारी चाहिए।
आत्मविश्वास,
जिंदगी की सबसे खूबसूरत
सुबह होती है,
जो आपके पूरे दिन को
खूबसूरत
बनाए रखती है…!
कभी किसी का अपमान मत
करो, आप शक्तिशाली हो अच्छी
बात है लेकिन समय आपसे भी
अधिक शक्तिशाली है ये कभी
मत भूलो….
हर किसी को गंभीरता से
मत लो क्योंकि
कुछ लोगों के पास
ब्लड ग्रुप के अलावा
कुछ भी positive नहीं होता!!
शिक़स्त भी जरूरी है जिंदगी में…
जीत की अहमियत समझने के लिए…
घायल तो यहां हर एक परिंदा है…
मगर जो फिर से उड़ सका वही जिंदा है…
हमेंशा अकेले खड़े रहने का
साहस कीजिए…..
दुनिया ज्ञान देती है
साथ नहीं……!!
“व्यवहार” घर का शुभ “कलश” है
और “इंसानियत” घर की “तिजोरी”।
“मधुर वाणी” घर की “धन-दौलत” है और “शांति” की “महालक्ष्मी”। “पैसा” घर का “मेहमान” है और एकता घर
की “ममता”।
जो “मन” को “छुआ”
करते है…
वही “अपने” हुआ
करते है…..!!!!
न संघर्ष खत्म होता है
और न ही शिकायतें,
धीरे-धीरे जो खत्म हो रही है,
वो उम्र है।
इसलिए उम्र की हिफाज़त कीजिए,
अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखिए…
डर कहता है यह अंसभव है,
अनुभव कहता है यह जोख़िम भरा है,
तर्क कहता है यह कठिन है,
परन्तु साहस कहता है,
एक बार प्रयास तो कीजिए
सब कुछ संभव है।
अपनेपन की केवल
सुगंध ही पर्याप्त होती है,
यह कोई व्याख्या, विज्ञापन या स्पष्टीकरण नहीं
चाहती है।
“अच्छे लोग”
और “अच्छी किताबें”
तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हे समझने के लिए,
धैर्य से पढ़ना पड़ता है…!!
“अच्छाई” और,
“सच्चाई”
चाहे पूरी दुनिया मे,
ढूंढ लो
अगर खुद मे नही है,
तो कही नही मिलेगी।
हर सुबह
ईश्वर का दिया हुआ
उपहार है….
इसे मुस्कुराहट और
सकारात्मकता
के साथ स्वीकार करो !
जब किसी को देने के लिए
कुछ ना हो तो उसे….
प्रेम और सम्मान दें यही
सबसे बड़ा धन है…!!
लोगों की निंदा से
परेशान होकर अपना,
रास्ता ना बदलना,
क्योंकि सफलता शर्म से नही,
साहस से मिलती है।
जिस प्रकार
आकाश से गिरा हुआ जल
किसी न किसी रास्ते से
होकर समुद्र में
पहुंच ही जाता है
उसी प्रकार
नि:स्वार्थ भाव से की गई
किसी की
“सेवा और प्रार्थना”
किसी न किसी रास्ते से
ईश्वर तक पहुँच ही जाती है।
जिसे जीना आता है,
वह बिना किसी सुविधा के भी
खुश मिलेगा।
जिसे जीना नहीं आता,
वह सभी सुविधाओं के होते
हुए भी दुखी मिलेगा।
ज़िंदगी म्यूजिक प्लेयर नहीं है,
जिसमें आप अपनी पसंद के
गीत सुन सके।
ज़िंदगी एक रेडियो है,
उसमें जो भी आ रहा है,
उसी से मनोरंजन करें।
मनपसंद व्यक्ति की
संगत में रहिए
उससे भी इम्यूनिटी
बढ़ती है।
पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति
ऐसा नहीं है,
जिसको कोई समस्या न हो,
और पृथ्वी पर कोई समस्या
ऐसी नहीं है,
जिसका कोई समाधान न हो।
मंजिल चाहें कितनी भी
ऊँची क्यों न हो,
रास्ते हमेशा पैरों
के नीचे ही होते हैं।
जिंदगी जीने के बहुत से
तरीके है, लेकिन
सर्वश्रेष्ठ तरीका वही है
जिससे स्वंय को संतुष्टि मिले,
और दूसरों को कष्ट ना पहुंचे।
हालात सिखा देते हैं
सुनना और सहना,
वरना हर इंसान अपने आप
में महाराजा होता है।
जरूरत से
अधिक समय
और
अहमियत देनें से,
लोग बदल जाते है।
सब्र करना सीख लो,
क्योंकि जब भी तुम्हारा
वक्त आएगा तो
बिना मांगे सब मिल
जाएगा……!
झाँकने की कुछ
बेहतरीन जगहों में से,
एक जगह अपना
गिरेबान भी है!!
पत्थर सदैव हथौड़े की
अंतिम चोट से ही टूटता है
लेकिन….
इसका मतलब यह नहीं है
कि पहले की सभी चोटें
बेकार गई,
ध्यान रखें सफलता निरंतर
प्रयासों का ही परिणाम है।
ऊंची उड़ान भरने वाले पक्षी
भी घमंड नहीं करते
क्योंकि वो भी जानते हैं,
कि आसमान में बैठने की
जगह नहीं होती।
आपकी
कीमत तब होती है,
जब आपकी जरूरत
सबसे ज्यादा होती है।
जब व्यक्ति को जरूरत से
ज्यादा इज्जत मिल जाती है,
तब वह दूसरों को समझने
की समझ खो देता है…!
भिक्षा पात्र
भरा सकता है,
परन्तु इच्छा पात्र
कभी नहीं,
भरा जा सकता है…
अत: संतोष में ही
परम सुख है।
प्रेम और विश्वास हवा जैसा
होना चाहिए, जो दिखाई ना दे
पर हमेशा साथ रहे।
रिश्ते इसलिए भी नहीं
सुलझ पाते हैं क्योंकि लोग
गैरों की बातों में आकर
अपनों से उलझ जाते है।
धर्म कोई भी हो
बस…..
कर्म
अच्छे होने चाहिए।
विरासत में हर बार जागीर
और सोना-चांदी नहीं मिलता
कई बार जिम्मेदारियां
भी मिलती हैं।
अपेक्षा और संतुष्टि मे यही
अंतर है कि अपेक्षा
व्यक्ति को पीड़ा में रखती है
और संतुष्टि व्यक्ति को
खुशी में रखती है…!!!
चिंता करने से
कुछ नहीं बदलता,
लेकिन ईश्वर पर भरोसा
करने से सब कुछ
बदल जाता है।
धैर्य, वह गुण है
जो तुम्हें हर तुफान
के बाद भी स्थिर खड़ा
रहने की ताकत
देता है।
आप कब सही थे
इसे कोई याद नहीं रखता…
लेकिन आप कब गलत थे…!!
इसे सब याद रखते है…!!!
जिंदगी को लेकर
हमारी शिकायतें,
जितनी कम होती जाएंगी,
हमारा जीवन उतना ही
बेहतर बनता जाएगा…..
मुलाकात चाहे जब भी
हो
लेकिन अपनेपन का
एहसास
हर रोज होना चाहिए…..
किसी के लिए आप
कितना भी अच्छा कर लो
पर वो याद वहीं रखेगा
जो आप कर नहीं पाए….
बीमारियां और कमजोरियां
तो जीवन में कभी न कभी
बनी रहती हैं। हमें इनकी
चिंता छोड़कर अपने कर्मों
पर ध्यान देना चाहिए,
तभी जीवन में
सुख-शांति-समृद्धी
बनी रहेगी।
शांत मन से लिए गए
निर्णय की वजह से
जीवन में सुख आता है।
और जल्दबाजी में लिए
निर्णय हमारी परेशानियां
बढ़ा सकते है।
पहाड़ों पर बैठकर
तप करना सरल है,
लेकिन परिवार में
सबके बीच रहकर
धीरज बनाये रखना
कठिन है, और
यही तप है।
जो व्यक्ति हर तरह
की परिस्थिति में
स्वयं को ढाल लेता है
वास्तव में वही सबसे
ज्यादा सुखी रहता है…
इंसान विकल्पो का आदी है।
विकल्प मिलते ही उसे….
नये में खूबियाँ,
और पुराने में कमियाँ
नज़र आने लगती है।
जो लोग बाधाओं की वजह
निराश होकर हार
मान लेतें हैं, उन्हे इस
बात का अहसास नहीं
होता है कि वे सफलता के
कितने करीब थे।
असफलता से डर कर
काम न करने से अच्छा है,
कोशिश करके असफल
हो जाना। असफलता से
सीख लेकर दोबारा कोशिश
करने से, सफलता मिलने
की सम्भावनाएं बहुत
बढ़ जाती हैं।
शांति की शुरुआत
मुस्कान के साथ होती है।
हालात कैसे भी क्यों ना हों,
हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए।
जिसके मन में
अच्छे भाव होते है।
उनके हर काम
अच्छे होते है।
जब हमारे सभी
दुख दूर हो जाएंगें,
तब मन प्रसन्न होगा,
ये भ्रम है। मन प्रसन्न
रहेगा तो सभी दुख
दूर हो जाएंगे।
यह बड़ी सच्चाई है।
हमारा सफल होने का
संकल्प ही सबसे अधिक
महत्वपूर्ण है। संकल्प से ही
हम बड़ी से बड़ी उपलब्धियां
हासिल कर सकते हैं।
खुश रहने का मतलब
यह नहीं है कि
सब कुछ ठीक है,
इसका मतलब यह है
कि आपने आपके अपने
दुखों से ऊपर उठकर
जीना सीख लिया है।
कभी-कभी
आपको गिराने वालों को,
यह पता नहीं होता है कि,
वो आपकी वजह से
खड़े हैं।
मुसीबत में हमेशा शांत
रहना चाहिए क्योंकि
मुसीबत में भगवान एक
मौका जरूर देता है।
बाहर वाले भी तभी ऊंची
आवाज में बात करतें हैं
जब उनको पता होता है
कि उसके सगे संबंधी
तो उसके साथ खड़े
नहीं हो रहे, बाहर
वाले क्या ख़ाक खड़े होगें।
अगर लोगों को माफ
करने वाला व्यक्ति,
आपसे बातचीत बंद कर दे,
तो समझ जाए कि आपने,
उसकी सहन शक्ति को हद्द
की आखिरी सीमा तक
परखा है, वरना ऐसा व्यक्ति
हर मुमकिन कोशिश करेगा
कि रिश्ता बना रहे।
रिश्तों को कभी
दौलत की निगाह से
मत देखना क्योंकि..
साथ निभाने वाला
इंसान अक्सर गरीब
ही होता है…..!!
सहृदयता वह पुल है,
जो दिलों को जोड़ता है
और मनुष्यता को
महानता प्रदान करता है।
जो सहृदय बनता है,
वही सच्चे अर्थों में
जीवन को सुंदर बनाता है।
आपका जीवन
काफी हद्द तक
इस बात पर निर्भर करता है
कि आपके आस-पास के
लोग कैसे हैं।
अच्छे और सकारात्मक लोग
आपको आगे बढ़ने की
प्रेरणा देते हैं,
जबकि नकारात्मक संगत,
आपके आत्मविश्वास और सोच
पर असर डाल सकती है।
इसलिए हमेशा ऐसे लोगों
का चुनाव करें, जो आपको
बेहतर बनने के लिए
प्रेरित करें।
इंसान की जिंदगी में
कितनी मुसीबतें आती हैं
हमको पता भी नहीं होता
कि हमारा परमात्मा हमें
किस तरह परेशानी से
बचाता है। अगर तुम्हें
लगता है कि परमात्मा
तुम्हें कष्ट के पास ले आए
है तो, भरोसा रखिए वो
तुम्हें कष्ट के पार भी
ले जाएगें।
गुस्से में कभी भी बात
करने की तमीज
नहीं भूलनी चाहिए,
गुस्सा पल भर का होता है,
और रिश्ता उम्र भर का।
शांति और खुशी की जड़े,
ना तो जंगल में हैं
और ना ही बाजार में
ये तो हमारे अंदर ही हैं,
जिसे हमे स्वयं खोजना है।
आज की दुनिया ऐसी है
तुम जिसको जितना
ज्यादा इज्ज़त प्यार
और अहमियत दोगे
वो तुम्हे उतना ही
फालतू समझेगा….!!
हर व्यक्ति अपनी स्थिति में
संघर्ष कर रहा हैं,
इसलिए हर मौन
अंहकार नहीं होता है।
उम्र से सम्मान
जरूर मिलता है,
पर आदर तो
केवल अच्छे व्यवहार
से ही मिलेगा….!
जीवन में परेशानियां
चाहे कितनी भी हो,
चिंता करने से
बड़ी हो जाती हैं,
अपनों से बात करने से
कम हो जाती हैं,
सब्र करने से
खत्म हो जाती हैं,
प्रार्थना और प्रयास करने से
हल हो जाती है।
संकलन :
राजेन्द्र जैन, मानसरोवर पार्क
शाहदरा, दिल्ली