श्री त्रिलोक चन्द जैन (अध्यक्ष)
नया बास, सकर कूंई के पीछे, अलवर (राज.)
मोबा. : 8233082920
श्री पारस चंद जैन ( महामंत्री )
77/124, अरावली मार्ग,
मानसरोवर, जयपुर-302020
मो.9829298830
Email: abpjmparasjain@gmail.com
श्री भागचन्द जैन ( अर्थमंत्री )
पुराने जैन मंदिर के पास, नौगावां,
जिला अलवर – 301025 (राज.)
मोबा. : 9828910628
E-mail: bhagchandjain07@gmail.com
श्री राजेन्द्र कुमार जैन (संयोजक)
82, शक्ति नगर, गोपालपुरा बाई पास,
जयपुर – 302015
मोबाइल – 9460066534
ईमेल: rajendra.jain82@gmail.com
श्री रमेश चंद पल्लीवाल (संपादक)
8, विश्वविद्यालय पुरी, गोपालपुरा रोड,
आशा पब्लिक स्कूल के पास,
गोपालपुरा, जयपुर 302018
मोबाइल नंबर: 9314878320
ईमेल: rcpalliwal@yahoo.co.in
श्री संजय जैन (सह – संपादक)
45ए, सूर्य नगर, गोपालपुरा बाई पास रोड,
जयपुर – 302015
मोबाइल: 9414338048
ईमेल: sanjaykjain@gmail.com
श्री अजय कुमार जैन (अर्थ – व्यवस्थापक)
सीडी -188, दादू दयाल नगर, मानसरोवर, जयपुर
पिन कोड: 302020
मोबाइल: 9784223311
ईमेल: ajay07469@gmail.com
महावीर का 2624 वॉ जन्म कल्याणक महोत्सव
दिनांक 10 अप्रैल 2025 को श्री महावीर स्वामी 2624 वॉ जन्म कल्याणक महोत्सव देश-विदेश में बहुत धूम-धाम से मनाया गया। विभिन्न शहरों में सजी धजी शोभा यात्राऐं धर्म प्रभावना के लिए आयोजित की गयी ।
प्रश्न यह उठता है कि हम यह सब दिखावा क्यों करते है जबकि महावीर स्वामी ने अपने आत्म कल्याण व जन सामान्य को मुक्ति मार्ग दिखाने के लिये एकान्त में बारह वर्षो तक घोर तपस्या की थी। अर्थात धर्म व त्याग तपस्या को करने में दिखावे का कोई स्थान नही है।
एक महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करते हुए आपको बताना चाहता हॅू कि दिनांक 09 अप्रैल 2025 को जैन धर्म के मूल महामंत्र का पाठ देशभर में सम्पन्न हुआ, जिसमें देश के उच्च राजनेताओं ने भी सिरकत की, लेकिन विडम्बना देखिये कि उसके पश्चात मुम्बई में इन राजनेताओं के सामने श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर परिसर को वेदी सहित बुलडोजर का उपयोग कर नष्ट कर दिया गया। जो जैन धर्म शान्ति एवं सह-अस्तिव का संदेश अहिंसा के द्वारा देता है, उसके साथ ही कैसा घिनौना कृत्य कर दिया गया, जिसके विरोध में जैन धर्म के विभिन्न सम्प्रदाय के लोगों ने शान्ति एवं अहिंसा को धारण करते हुए विशाल जुलूस निकाला गया, जिसके फलस्वरूप वहॉ कि सरकार एवं प्रशासन दवाब में आया तथा यह घोषणा की गयी कि खण्डित किये गये श्री मन्दिर जी का उसी स्थान पर पुनः निर्माण कराया जायेगा । हांलाकि सम्पादक इस बात की पुष्टि नही करता है।
उपरोक्त तथ्य तो समय समायिक होने के कारण यहाॅ सम्मिलित किये गये है, क्योकि यह घटना लेख लिखनें के पूर्व में घटित हो गई ।
मूलः बात यह है कि श्री महावीर स्वामी के द्वारा प्रतिपादित सार्वभौम सिद्वान्त जो कि वैज्ञानिक आधार पर खरे उतरते है, उन्हे आत्मसात करने की आवश्यकता है। जैसे अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्राम्हचर्य आदि। इन्ही सब बातों को आस्था के रूप में सबको समझाने के लिए प्रतिवर्ष श्री महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के अवसर पर शोभा-यात्राओं का आयोजन किया जाता है। जैन धर्म के अन्तर्गत अरिहन्त भगवन्तों द्वारा जो सिद्वान्त प्रतिपादित किये गये है उनका अनुसरण करके ही विश्व में शान्ति की स्थापना की जा सकती है, और विकास के नये आयामों को स्थापित किया जा सकता है। इस संदर्भ में जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर श्री महावीर स्वामी द्वारा जो दिव्य संदेश प्राणियों को दिये गये है उनके द्वारा बताये गये सन्मार्ग पर चलकर आत्म कल्याण एवं जग कल्याण संभव है।
महावीर का क्या सिद्वान्त – जियो और जीने दो
रमेश पल्लीवाल
सम्पादक