एक किसान को उसके मित्र ने एक विशेष प्रकार का बीज दिया और कहा कि इन बीजों से 90 फीट ऊंचाई तक के बॉस होगे। ये विशेष तरह के होंगे जो तुम्हारे लिए बहुत फायदेमंद होंगे और बहुत धन मिलेगा।
किसान ने बीज को बो दिया और खेत में लगा दिया। अमूमन बीज बोने के 5 दिन 10 दिन बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं। लेकिन इसका तो बीज अंकुरित ही नहीं हुआ 5-10 दिन के बाद फिर उसने उसमें खाद पानी दिया फिर भी बीज अंकुरित नहीं हुआ।
एक साल निकल गया लोगों ने उसको उलाहना देना शुरू कर दिया । उसकी हंसी उड़ाना शुरू कर दिया कहा कि तू पागल हो गया है। यहां एक बीज कैसे विकसित होगा।
तुम तो पूरा समय और शक्ति बर्बाद कर रहे हो। लेकिन उसके मन में विश्वास था कि मेरा मित्र मेरे साथ कोई धोखा नहीं दे सकता उसने मुझे बड़े विश्वास के साथ बोला है। कि यह अंकुरित होगा और बड़ा भी होगा। वह इस लग्न और निष्ठा के साथ उस बीज की सेवा करता था। लोगों ने उसे बहुत डगमगाने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। उसके हृदय में यह विश्वास था कि बीज अंकुरित होगा, अवश्य अंकुरित होगा।
लोगों ने तो कहा कि बीज तो सड गया है। तब भी वह यही बोलता रहा की बीच अंकुरित होगा।
पांच साल के बाद एक अंकुर फूटा उसकी खुशी का फिर कोई ठिकाना नहीं रहा। देखते ही देखते एक सप्ताह में वह 5 फीट का हो गया 15 दिन में वह 10 फीट का हो गया 2 महीने में वह 90 फीट का हो गया। आश्चर्य चकित रह गए की यह क्या हुआ जिस बीज के लिए 5 साल की प्रतीक्षा की वह विकसित होकर 2 महीने में 90 फिट हो गया।
यह किसकी बदौलत हुआ 5 साल का धैर्य, मन का विश्वास, उसकी मेहनत, अपने मित्र के प्रति प्रेम।
आशावादी दृष्टि तुम्हारे मन में है, धैर्य है, तो वह सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं जिसके लिए आपने ईमानदारी, निष्ठा और प्रेम की सीमा को ध्यान में रखा। “धैर्य” हर कार्य को पूर्ण करता है।
(“ककहरा जीवन का” पुस्तक से।)
अशोक कुमार जैन
वीटी रोड मानसरोवर, जयपुर।