श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

शब्द

शब्द रचे जाते हैं,
शब्द गढ़े जाते हैं,
शब्द मढ़े जाते हैं,
शब्द लिखे जाते हैं,
शब्द पढ़े जाते हैं,
शब्द बोले जाते हैं,
शब्द तौले जाते हैं,
शब्द टटोले जाते हैं,
शब्द खंगाले जाते हैं,

… इस प्रकार

शब्द बनते हैं,
शब्द संवरते हैं,
शब्द सुधरते हैं,
शब्द निखरते हैं,
शब्द हंसाते हैं,
शब्द मनाते हैं,
शब्द रुलाते हैं,
शब्द मुस्कुराते हैं,
शब्द खिलखिलाते हैं,
शब्द गुदगुदाते हैं,
शब्द मुखर हो जाते हैं
शब्द प्रखर हो जाते हैं
शब्द मधुर हो जाते हैं

… इतना होने के बाद भी

शब्द चुभते हैं,
शब्द बिकते हैं,
शब्द रूठते हैं,
शब्द घाव देते हैं,
शब्द ताव देते हैं,
शब्द लड़ते हैं,
शब्द झगड़ते हैं,
शब्द बिगड़ते हैं,
शब्द बिखरते हैं
शब्द सिहरते हैं

… परन्तु

शब्द कभी मरते नहीं
शब्द कभी थकते नहीं
शब्द कभी रुकते नहीं
शब्द कभी चुकते नहीं

… अतएव

शब्दों से खेले नहीं
बिन सोचे बोले नहीं
शब्दों को मान दें
शब्दों को सम्मान दें
शब्दों पर ध्यान दें
शब्दों को पहचान दें
ऊंची लंबी उड़ान दें
शब्दों को आत्मसात करें
उनसे उनकी बात करें,
शब्दों का अविष्कार करें
गहन सार्थक विचार करें

… क्योंकि

शब्द अनमोल हैं
ज़ुबाँ से निकले बोल हैं
शब्दों में धार होती है
शब्दों की महिमा अपार होती है
शब्दों का विशाल भंडार होता है

और

… सच तो यह है कि

शब्दों
का
भी
अपना
एक 🌐 संसार होता है

राजेंद्र जैन
शाहदरा

This Post Has One Comment

  1. राजेन्द्र प्रसाद जैन

    वास्तव में
    शब्द अनमोल हैं
    ज़ुबाँ से निकले बोल हैं
    शब्दों में धार होती है
    शब्दों की महिमा अपार होती है
    शब्दों का विशाल भंडार होता है
    और
    … सच तो यह है कि
    शब्दों का भी अपना एक 🌐 संसार होता है

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