श्री पल्लीवाल जैन पत्रिका दिसम्बर 2020 के अंक में प्रकाशित लेख “पल्लीवाल जैन समाज : एक परिचय” द्वारा डा. अनुपम जैन, में पल्लीवाल जाति का उद्भव ईसा पूर्व पहली दूसरी शताब्दी के आस-पास दक्षिण भारत में होना बताया गया है। पल्लीवाल जाति का उद्भव दक्षिण भारत से होना सर्वमान्य नही है । लेखक ने स्वयं भी अपने लेख में लिखा है कि पल्लीवाल जाति की उत्पत्ति के बारे में कई विचार धाराऐं मिलती है। लेखक के उपरोक्त तथ्य को प्रमाणित नही माना जा सकता है
पल्लीवाल जाति का सबसे पुराना इतिहास है । 31दिसम्बर वर्ष 1919 में श्री कन्हैयालाल जी जैन बी. ए. एल. टी. निवासी आगरा द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसमें उनके द्वारा स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि पल्लीवाल जाति का उत्पत्ति स्थान जोधपुर रियासत के पाली नामक नगर से हुआ था ।
इस प्रकाशन से पूर्व जनगणना का कार्य ला० गोपीचन्दजी जैन, पैंची निवासी की सम्मति और आर्थिक सहायता से ला0 बंशीधर जी बरारा वालो ने जनवरी 1916 से दिसम्बर 1916 तक पूरा कर दिया था। उन्होने गाँव गाँव जाकर पूर्ण परिश्रम से यह कार्य किया था । उनका स्वर्गवास हो गया । 1917 में श्वेलेपा ज्वर से सम्पूर्ण देश में हाहाकार मच गया । 1918 से शिथिलता के कारण कार्य परिणाम बिल्कुल बन्द रहा। 1919 में इस कार्य का परिणाम अलीगढ़ निवासी ला० सूरज करण पल्लीवाल की सहायता से प्रकाशित किया गया । इस लेख के साथ प्रकाशित संक्षेप विवरण (इतिहास) की भूमिका में उपरोक्त उल्लेख किया गया है। जो श्री कन्हैयालाल जी द्वारा 31 दिसम्बर 1919 को प्रकाशित किया था ।
मेरे इस लेख के साथ उक्त प्रकाशन की भूमिका के पृष्ठ को प्रकाशन हेतु प्रेपित किया जा रहा है। इसके बाद भी कई विद्वानों द्वारा पल्लीवाल जाति का इतिहास लिखा गया था उसमें भी पल्लीवाल जाति का निकास पाली से बताया गया है।
श्रीचन्द जैन
पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री
महासभा