श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

पालक के कर्तव्य

वर्तमान समय में छोटे बच्चों के माता-पिता यह सोचकर या लोगों को जताकर खुश होते हैं कि हमारे बच्चे ने तो कभी उठकर पानी का गिलास भी नहीं लिया , उसे तो अपना काम करने की भी आदत नही है। बहुत नाजुक है । ना शब्द तो उन्हें सुनने की आदत ही नहीं है, रसोई की तरफ देखना तो दूर उन्हे खाना भी हम अपने हाथों से ही खिलाते हैं।पेरेन्टस समझते हैं कि वो बहुत सुपर माता-पिता हैं ।जी नहीं, आप अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल नहीं बल्कि अंधकारमय बना रहे हैं। सोचो सोचो यदि आपके माता-पिता ने भी आपको इसी तरह की सुविधा देकर छुईमुई बना दिया होता तो क्या आप अपने बच्चों के समस्त कार्य या इच्छाएं पूर्ण कर पाते। नहीं ना, फिर उनके साथ यह अत्याचार क्यों ?अरे नहीं जी आपने तो बेस्ट परवरिश दी है आपके हिसाब से तो आपका बच्चा बड़े नाजों से पला है उसे तो आपने कभी जोर से भी नहीं बोला, छूना तो बहुत दूर । उनके बोलने से पहले ही सारी इच्छाएं पूरी कर देते हैं। यहां हम सभी गलत हैं छोटा बच्चा है हम उसकी रोने की आवाज से तङप उठते है बिना भूख उसे कुछ ना कुछ खिलाते पिलाते रहते हैं वह भी खुद कुछ बनाकर नहीं संभावित रेडीमेड क्योंकि एड के अनुसार तो वही खाद्य सामग्री बच्चों के लिए फायदेमंद है चाहे घर के बुजुर्ग नाराज हो ।अरे हुजूर उन्हें थोड़ी देर भूख प्यास सहने की आदत बनने दो एहसास होने दो।
यदि वह कह सकते हैं तो उन्हेअपनी बात बोलने दो ।हम स्वार्थवश /अपनी सुविधानुसार अपना मोबाइल उन्हें पकड़ा देते हैं या टीवी पर कोई कार्टून चला देते हैं जो कि उन्हें मानसिक और शारीरिक कमजोरी के साथ अनेकानेक बीमारी भी देता है फिर एक फैमिली डॉक्टर बनाकर उसे अपना सारा वक्त और पैसा दे आते हैं।अरे भाई छोटी मोटी समस्या होने पर घर के बुजुर्ग की सलाह और रसोई की मदद से बच्चों को स्वस्थ रखें ।उनकी रूचि जाने बिना ही उन्हें डांस क्लास ,कोचिंग आदि में भेज देते हैं और बड़े खुश होते हैं लोगों को यह सुना कर कि उनका बच्चा अंग्रेजी जानता है , ङान्स बहुत अच्छा करता है ।आपके अधूरे ख्वाबो को पूरा करने के चक्कर में और आपके तयशुदा कार्यक्रम की वजह से बच्चे अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पाते उनका बचपन कहां खो गया ?पता नहीं। जीने दे उन्हें। छोटे-छोटे बच्चों को अटैक आ रहे हैं ना देखी, ना सुनी ऐसी बीमारियों से जूझ रहे हैं वो। उनके भविष्य को मद्देनजर रखते हुए उन्हें प्राकृतिक व मानवीय आपदाओ से सवयं रक्षा करना सिखाएं, मसलन यदि घर में किसी को करंट लगे तो क्या करना चाहिए आग लग जाऐ तो कैसे बचना चाहिए , भूकंप/ बाढ़/ तूफान आदि के समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए, आतंकवाद या युद्द की विभीषिका को ध्यान मे रख उसे मॉक ड्रिल भी सिखाएं। अपरिचित के मनोभावों को समझ कर कैसे ट्रीट करें। बेड टच ,गुड टच के साथ-साथ हमलावर से अपनी रक्षा हर परिस्थिति में कैसे करें ,घर में छोटे-छोटे हथियार, डंडे आदि रखें और उनका उसे यूज करना सिखाएं, जूडो और कराटे की क्लास में भेजें , विपरीत परिस्थितियों में भूख प्यास को कैसे सहन करें, घर में अकेले होने पर भूख मिटाने के लिए क्या करें उन्हें अपने साथ किचन में ले(आठ साल से बङे) जाएं और सिखाएं अपनी मदद भी ले उनसे पिछले दो दशकों से सिंगल फैमिली में हर जन अपने आप को ज्यादा खुश महसूस करता है और अब तो परिवार भी अपने निम्नतम की, उच्चतम स्थिति पर हैं सिर्फ और सिर्फ एक बच्चा ।बच्चों को रिश्तेदारों के घर ले जाएं और अपने घर आए लोगों से घुलना मिलना सिखाएं
आज बच्चों ने सीखा है जिद करना, झूठ बोलना ,बातें छुपाना, बड़ों की बात ना सुनना। हमें वापस जाना होगा संयुक्त परिवार मे जहां बच्चा बिना सिखाये सब कुछ सीख जाता है बिना पीछे लगे सब कुछ खा लेता है शेयर करना ,एडजेस्ट करना, सॉरी बोलने की आदत लगना ,बड़ों का सम्मान करने के साथ थोड़ा उनसे ङरना ,छोटो का सहयोग करना ।बच्चों को गलत जिद पर ना सुनने की आदत होनी चाहिए, उन्हें समय-समय पर गलतियों की सजा भी दे, आपका हल्का डर भी रहना चाहिए ताकि वह कुछ भी करने से पूर्व थोड़ा सोचे/ मनन करें। तात्पर्य यह है कि हमें अपने बच्चों को हर परिस्थिति में एडजेस्ट होने का हुनर देना चाहिए ना कि खुद उसकी चिंता में उसके साथ-साथ परेशान रहे।आपकी समस्या के समाधान किसी के पास नहीं है सॉल्यूशन स्वय आप ही है। अपने बच्चों के मित्र/ सखा /हमदर्द के साथ-साथ अच्छे माता-पिता ( प्रशासक )भी बने ताकि उनको भविष्य में विपरीत परिस्थिति को सॉल्व करना आ सके ना कि जीवन को खत्म करने की इच्छा।

सुनीता मुकेश जैन
66/187 वी टी रोङ
मानसरोवर जयपुर

Leave a Reply