श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

महाकुंभ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पर्व एवं मेला -2025

कुंभ पर्व एवं मेले का इतिहास बहुत पुराना है , हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार इसे ऋग्वेद के पूर्व से मनाया जाना बताया गया है , यह मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश को लेकर प्रकट हुए और इन्द्र पुत्र जयंत अम्रत से भरे इस कलश को लेकर भाग रहे थें और राक्षस ,जयंत के पीछे भाग रहे थें इस दौरान अमृत कलश की कुछ बुंदे इन चारों स्थानों प्रयागराज ( यूपी), उज्जैन ( एमपी),नासिक ( महाराष्ट्र) और हरिद्वार ( उत्तराखंड) में गिर गई ,तभी से कुंभ का पर्व एवं मेला मनाया जाता है। कुंभ का शाब्दिक अर्थ घड़ा,सुराई ,बर्तन और कलश है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यह भयंकर युद्ध 12 दिनों तक लगातार चलता रहा और देवताओं का एक दिन ,मनुष्य के 12 वर्षों के बराबर होता है इस कारण से हर बारह वर्ष बाद यह पर्व मनाया जाता है और 12 कुंभ पर्व के पश्चात (अर्थात 144 वर्षों के बाद) महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।बारह वर्षों में भी इसका आयोजन उस समय होता है जब बृहस्पति सूर्य के( 12 वर्षों में) एक चक्कर पूर्ण कर लेता है और सूर्य,चंद्रमा व बृहस्पति एक विशेष ज्योतिषीय संयोग में होते हैं प्रत्येक बारहवें वर्ष के अतिरिक्त दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अन्तराल में एक और कुंभ पर्व मनाए जाने लगा जिसे अर्धकुंभ के रूप में जाना जाता है।
प्रयागराज की संगम नगरी के तट पर यह बूंदें गिरने से यह स्थान सबसे प्रसिद्ध माना जाता है।संगम का अर्थ होता है मिलन, यहां पर तीन पवित्र नदियां गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती आपस में मिलती है। वर्ष 2025 में (13 जनवरी से 26 फ़रवरी तक) महाकुंभ मेले का आयोजन इसी प्रयागराज के तट पर मनाया गया।
कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक समागम ही नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक भी है, शास्त्रों एवं मान्यताओं के अनुसार इन चारों जगह पर स्नान व पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पाप धुल जाते हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों ( निरंजनी,जूना, महानिर्वाण, अटल, आह्वान, आनंद, पंचायती नांगपंथी गोरखनाथ, वैष्णव, उदासीन पंचायती बड़ा,, उदासीन नया, निर्मल पंचायती, निर्मोही)एवं मेला प्रशासन के निर्धारित किए जाने के पश्चात 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ 45 दिवसीय महाकुंभ महोत्सव का श्री गणेश हुआ, नागा साधु मुख्य रूप से इन अखाड़ों के सदस्य होते हैं।
इस महाकुंभ में 6 मुख्य स्नान थें। इनमें से तीन अमृत स्नान (प्रथम -अम्रत स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति, द्वितीय -अम्रत स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या, तृतीय-अम्रत स्नान 3 फ़रवरी बसंत पंचमी) एवं तीन शाही स्नान (प्रथम-शाही स्नान 13 जनवरी पौष पूर्णिमा, द्वितीय-शाही स्नान 12 फरवरी माघी पूर्णिमा, तृतीय- शाही स्नान 26 फ़रवरी महाशिवरात्रि) का अधिक महत्व रहा।इन सभी 6 मुख्य स्नानों के दिनों पर साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं पर 20 क्विंटल प्रति दिन के हिसाब से 120 क्विंटल ग़ुलाब के फूलों की पंखुड़ियां हेलीकॉप्टर द्वारा डाली गई,यह एक अद्भुत स्मृति दृश्य देखने को मिला। तीनों अमृत स्नानों में पवित्र डुबकी लगाने वाले सभी 13 अखाड़ों की उपस्थिति ने सनातन धर्म की सभी परंपराओं को कायम रखा और महाकुंभ परंपराओं के अनुरूप दीक्षा समारोह आयोजित किये तथा विभिन्न अखाड़ों ने महामंडलेश्वर जैसे पदों पर व्यक्तियों को नियुक्त किया इन तीनों अमृत स्नान के पश्चात साधु संत महाकुंभ से विदा हो गए।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इस महाकुंभ की व्यवस्था पर 7500करोड़ रूपए का इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्चा (सड़कों, फ्लाईओवर एवं अंडरपास ) किया गया, तथा इस मेले में 45 लाख श्रद्धालुओं के देश विदेश से आने की संभावना व्यक्त करते हुए इससे 2 लाख करोड़ रुपए का अर्थ-व्यवस्था को लाभ होने का आंकलन किया गया , किन्तु महाकुंभ के 144 वर्षों के पश्चात होने के कारण सभी प्रकार के श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि होती गई और अन्तिम दिन तक करीब 66.5 करोड़ श्रद्धालुओं द्वारा संगम में स्नान किया गया और इससे 4 लाख करोड़ रुपए के लगभग कारोबार हुआ, तथा इससे यूपी की जीडीपी में 1% वृद्धि होने की संभावना व्यक्त की गई।इन छः दिनों के स्नान में एक ही दिन में सबसे अधिक श्रद्धालुओं (8 करोड के लगभग) ने मोनी अमावस्या के दिन संगम में अम्रत स्नान कर डुबकी लगाई।

प्रयागराज में संगम के किनारे 4000 हेक्टयर में एक अस्थाई विशाल महाकुंभ शहर बनाया जाकर इसे 25 सेक्टरों में विभाजित किया गया ,निर्माण के 12 किलोमीटर में कई स्थाई घाट, पार्किंग के लिए 1850 हैक्टेयर,31 पंटूल पूल और 67 हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट ,डेढ़ लाख शौचालय ,25 हजार सार्वजनिक आवासों का निर्माण किया गया

कुंभ मेले में साधूं संतों एवं अन्य श्रद्धालुओं के लिए 12 घाटों (संगम/त्रिवेणी घाट, दशाश्वमेध घाट,अरैल घाट,राम घाट, हांडी फोड घाट,,कैदार घाट, हनुमान घाट , ललिता घाट,चेत सिंह घाट, मानसरोवर घाट,भरद्वाज घाट और गंगेश्वर घाट )पर स्नान की समुचित व्यवस्था की गई जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो सके। इसमें मुख्य संगम /त्रिवेणी घाट रहा- जो गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन स्थल था। घाटों पर पुलिस और सुरक्षा बलों की व्यापक तैनाती की गई, डॉरोन से निगरानी व चार रोबोटिक बोट स्नान धारियों को डूबने से बचाने के लिए रखे गए।

यह महाकुंभ फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को‌ महामंडलेश्वर बनाने , गंगाजल की अशुद्धता के अतिरिक्त,दो जगह प्रथम -मौनी अमावस्या 29 जनवरी के दिन और इसके बाद देश की राजधानी नई दिल्ली के मुख्य रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में दर्जनों लोगों के मारे जाने के कारण कुछ विवादों में भी रहा। यह वीआईपी के लिए दोषरहित एवं विशेष बंदोबस्त व्यवस्था एवं साधारण व्यक्तियों के प्रति उदासीनता इस त्रासदी का कारण रहे।

आजाद भारत में 1954 के पहले कुंभ से लेकर अब तक कुल 6 बड़े हादसे (1954-प्रयागराज में मौनी अमावस्या,1986- हरिद्वार,2003- नासिक,2010- हरिद्वार,2013- प्रयागराज में मौनी अमावस्या,2025- प्रयागराज में मौनी अमावस्या) हुए हैं ,इनमें से तीन हादसे तो मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में ही हुए थे, इस वर्ष मौनी अमावस्या के दौरान एंट्री एवं एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं होना , इसके अलावा इस दिन पटरियों के दुकानदारों को हटाकर मार्ग खाली नहीं कराये गये, जबकि पहले के वर्षों में इस विशेष दिन सभी मार्गो को खाली कराया जाता रहा था। संगम किनारे बैरिकैटस तोड़कर सोते हुए लोगों पर से भागती हुई भीड़ आगे बढ़ती गई, अम्रत स्नान का समय हो जाने के बावजूद भगदड़ एवं त्रासदी की खबर मिलने पर अखाड़ों के साधू संतो ने 10-12 घंटे स्थिती सामान्य होने तक अपना स्नान रोका और उसके पश्चात विलम्ब एवं सादगी से संगम में डुबकी लगाई।

इस महाकुंभ में 77 देश के राजदूतों और राजनयिकों ( प्रतिनिधि) द्वारा अपने परिवारों सहित पहुंच कर डुबकी लगाई, इसके अलावा भारत की राष्ट्रपति माननीय द्रोपदी मुर्मू द्वारा भी उत्तर-प्रदेश की राज्यपाल श्री मति आनंदी बेन के साथ स्नान किया, स्वतंत्र भारत की ये दुसरी राष्ट्रपति थी जिन्होंने कुंभ के पर्व पर संगम में डुबकी लगाई, इससे पूर्व 1954 में भारत के राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा कुंभ के मेले में डुबकी लगाई गई थी।

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धाबी तथा उपराष्ट्रपति जगदीश धनकड़,केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतीश गडकरी तथा यूपी विपक्षी दल ( समाजवादी पार्टी)के नेता अखिलेश यादव, भूटान नरेश – जिग्मे खेसर तथा अनेक सांसदों व विधायकों, फिल्मी सितारों, खेल एसवं उधोग जगत की हस्तियों द्वारा अपने परिवारों सहित इसमें स्नान किया गया और सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की।

प्रयागराज महाकुंभ में साफ सफाई की सभी श्रद्धालुओं द्वारा प्रशंसा की गई, सफाई कर्मचारियों की पर्याप्त नियुक्ति किए जाने के अलावा एक कारण “एक थैला एक थाली अभियान” रहा ।इससें डिस्पोजल कचरे में 80 से 85 प्रतिशत की कमी आई और पर्यावरण एवं स्वच्छता का यह संदेश घर-घर पहुंचा, इसमें गिलास प्लेट, कटोरी, आदि डिस्पोजल सामान के उपयोग से बचा जा सका और अपशिष्ट सामान को रोकना संभव हो सका ,दुसरी तरफ इससे करोड़ों रुपए की बचत भी रही ,भोजन प्रसादी के दौरान व्यक्तियों ने उन्हें धो धोकर कर पुनः काम में लिया गया ।इन बर्तनों को आगे सार्वजनिक आयोजनों के लिए ‘बर्तन बैंक’ बनाकर संधारित किया जाएगा

पंचम अम्रत कलश (12 फरवरी) के स्नान के पश्चात सनातन विरोधी एवं राजनीतिक विरोधी लोगों ने इस जल की अशुद्धता पर काफी व्याख्यान किया इसके पश्चात भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक विचार विमर्श करने वाले पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार सोनकर ने अपनी लैंब में जांच कर यह सिद्ध कर दिया कि गंगा जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर जैसा शुद्ध हैं। गंगा नदी के जल की अशुद्धता पर सवाल उठाने वालों को देश के शीर्ष वैज्ञानिक ने अपनी प्रयोगशाला में झूठा साबित कर दिया।
कुंभ मेले हेतु 16 हजार से अधिक स्पेशल ट्रेन,2800 फ्लाइट्स एवं अनेक राज्यों से बसों की अलग से व्यवस्था की गई तथा रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड ,निजी वाहनों एवं एयरपोर्ट से आने वृद्ध श्रृद्धालुओं के लिए 8 से 10 किलोमीटर यात्रा की सुविधा हेतु ई-रिक्शा ,साइकिल ट्रोली,हाथ ट्रोली व्यवस्था की गई।
योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज की जनता को धन्यवाद दिया जिन्होंने 20 लाख की आबादी वाले शहर में एक विशेष दिन 8 करोड लोगों का स्वागत किया और इसे अपने घर जैसा आयोजन मान कर इस प्रयोजन को सफल किया।

महाशिवरात्रि (26 फरवरी )के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज पहुंचकर महाकुंभ 2025 की औपचारिक पूर्णाहुति के घोषणा करते हुए अगले कुंभ के मेले का आयोजन 2027 में नासिक ( महाराष्ट्र) में किये जाने से अवगत कराया और इस महाकुंभ में अहम भूमिका निभाने वाले सफाई कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिसकर्मियों ,नोका चालकों आदि के लिए अपना पिटारा खोल दिया। मुख्यमंत्री एवं दोनों उप मुख्यमंत्रियों द्वारा खुद “अरैल घाट” पर झाड़ू लगाई और संगम की सफाई की तथा सफाई कर्मियों के साथ भोजन किया गया, इसके अतिरिक्त राज्य के सभी सफाई कर्मचारियों को जिन्हें पहले 8 से 11हजार रुपए प्रति माह वेतन मिलता था उनकी सैलरी बढ़ाकर 16 हजार रुपए करने की घोषणा की , तथा मेलें में कार्यरत सफाई कर्मियों को ₹10 हजार का बोनस एवं 7 दिन के अवकाश दिए जाने एवं 5 लाख तक स्वास्थ्य बीमा किया , सेवा मेडल प्रशस्ति-पत्र दिया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। मेले में ड्यूटी देने वाले 75 हजार यूपी पुलिस एवं केन्द्रीय पुलिस कर्मियों को भी 10 हजार रुपए का बोनस,एक सप्ताह का अवकाश (फेज वाइज),सेवा मेडल व प्रशस्ति-पत्र दिये जाने की घोषणा की गई। नाव चालकों के पंजीकरण के बाद हर नाव चालक को ₹5 लाख का बीमा तथा गरीब नाव चालकों को नाव खरीदने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी ,इसके अलावा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना एवं आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर किया जावेगा। इसी प्रकार परिवहन विभाग के चालक और परिचालक को 10 -10 हजार का बोनस दिए जाने के भी घोषणा की गई|
मुख्यमंत्री द्वारा बताया गया सबसे बड़े सफाई अभियान के लिए इन्हीं लोगों के परिश्रम के कारण हम तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड बना सके ,प्रथम -गंगा सफाई में 329 लोग एक साथ ,दूसरा-हैंड पेंटिंग ने 10102 लोग एक साथ, तृतीय -19 हजार लोगों ने प्रतिदिन एक साथ झाड़ू लगाना। इसके साथ ही 50 हजार से ज्यादा QR कोड लगाए गए ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा बढ़ाई जा सके।

प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी ने अपने एक विशेष ब्लॉक पोस्ट में इस आयोजन को” एकता का महाकुंभ व युग परिवर्तन की आहट” नाम से लिखा और मां गंगा,यमुना, सरस्वती से प्रार्थना की कि अगर कोई कमी रह गई हो तो उसे क्षमा करें, यह पोस्ट उनकी सनातन के प्रति धार्मिक एवं आध्यात्मिक भावना को प्रकट करती है।

“जा की जैसी रही भावना वैसा सब कुछ होय”
इसी संदर्भ का हवाला देते हुए महाकुंभ में योगी जी ने बोला कि यह नजरिए की बात है कि गिद्धों को लाशें दिखाई दी, सुअरों को गंदगी ,संतो को मोक्ष ,कुछ लोगों की प्रवृत्ति ऐसी ही होती है।
कुछ लोगों ने महाकुंभ के इस मेले में बंद सड़के व जाम को ही देखा, कुछ लोगों ने आध्यात्मिक वैभव व दिव्यता को ही देखा ,कुछ लोगों ने अपने माता-पिता व अपने सपनों को पूरा होते हुए देखा किन्तु

— किसी ने भी यह नहीं देखा कि करोड़ों हिंदुओं के किसी भी भोजन व चाय में थूक नहीं डाला गया ।

–किसी ने भी यह नहीं देखा कि अन्य धर्म के अस्तित्व को कोई चुनौती नहीं दी गई ।

–किसी ने भी यह नहीं देखा कि किसी के नरसंहार का कोई आहावान नहीं किया गया।

–किसी ने भी यह नहीं देखा कि सड़कों,रेलों, रेलवे स्टेशनों पर पूजा नहीं की गई जिससे किसी दूसरे को असुविधा होती हो।

–किसी ने भी किसी दूसरे धार्मिक लोगों पर पत्थर बाजी करते नहीं देखा।
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–किसी ने भी यह नहीं देखा कि किसी विदेशी को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया हो।

–किसी ने भी यह नहीं देखा कि कोई सामूहिक रूप में अज़ान जैसी आवाज सुनी हो।

–किसी ने भी यह नहीं देखा कि प्रयागराज जैसे छोटे शहर में कोई भूखा नहीं सोया हो।

–किसी ने भी इस छोटे से शहर में बिजली ,पानी ,रहने की अव्यवस्था को नहीं देखा

–किसी ने भी यह नहीं देखा कि किसी के लिए कोई अलग घाट हो,ब्राह्मण ,छतरी, वैश्य, और शूद्र सभी एक ही घाट पर समान रूप से स्नान कर रहे थे।

यह सब भी देखा जाना चाहिए।

यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयोजनों में मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सहभागिता का उदाहरण है , इस विराट समागम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के करीब 200 देश में से केवल भारत और चीन की जनसंख्या ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या से अधिक थी ,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के सुव्यवस्थित प्रयासों से भारत की इस प्राचीन सनातनी परंपरा ने अपनी व्याख्याता और भव्यता से पूरी दुनिया को मुग्ध कर दिया। यह दर्शाता है कि इस महाकुंभ में सभी जाति, धर्म ,संप्रदाय के लोगों द्वारा बिना किसी भेदभाव के भाग लिया गया,यह केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि सनातन धर्म के विराट स्वरूप का प्रतीक बन चुका है। मां गंगा ,मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत साधु संतो, श्रद्धालुओं , कल्पवासियों और ग्रहस्थों का स्नान उस शिखर के भी पार पहुंच गया जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं जताई थी।

पूरा विश्व चकित है कि ना कोई मास्क है ,ना कोई दूरियां है, ना कोई हाइजीन है, ना कोई सैनिटाइर्जस ,और करोड़ों लोग एक ही नदी के एक सीमित क्षेत्र में स्नान कर रहे हैं और कोई महामारी नहीं फैल रही है ,सारे कीटाणु और जीवाणु दुम दबाकर पड़े हैं।यह कैसी श्रद्धा ,आस्था और धर्म है ,यह कैसा सितारों का योग एवं कैसा विज्ञान है, बस जन सैलाब एक ही उद्देश्य को लेकर उमड़ पड़ा है कि हमें पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति करनी है ,इसमें ना कोई जात-पात का भेद ,ना कोई वर्ण का भेद,ना कोई ब्राह्मण, ना कोई क्षत्रिय,ना कोई वैश्य,ना कोई शुद्र, ना कोई ऊंचा न कोई नीचा ,सब साथ साथ समान रूप से स्नान कर रहे थे । यह एक गहन चिंतन का विषय है कि क्यों नहीं फैल रही महामारी ,क्या होता है मोक्ष और पाप-पुण्य एवं पूर्णजन्म , क्या यही सनातन का आधुनिक विज्ञान है।

अशोक कुमार जैन
भू पू अध्यक्ष
शाखा -जयपुर

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