आपके द्वारा की गई उपेक्षा किसी के जीवन को विषादग्रस्त बना देती है इसलिए दूसरों की उपेक्षा करने से सदैव बचना चाहिए । दूसरों के लिये जीना सीखो तो दूसरे भी आपके लिये जीने लग जायेंगे ।
वृक्ष भी फल तब ही दे पाते हैं जब आप उनकी अच्छे से परवरिश करते हैं । जिस दिन आपके मन में उनके लिए उपेक्षा का भाव आ जायेगा तो वो भी आपको अपनी शीतल छाया और मधुर फलों से वंचित कर देंगें ।
दूसरों की उपेक्षा करने की अपेक्षा दूसरों का सहयोग करना हमें अधिक मानवीय बनाता है । जब तक आपका जीवन परोपकार और परमार्थ में संलग्न रहेगा तब तक आपकी प्रतिष्ठा और उपयोगिता दोनों बनी रहेगी ।
परमार्थ ही प्रतिष्ठा को जन्म देता है । आप दूसरों के लिए अच्छा सोचो, आप दूसरों के लिए जीना सीखो लाखों होंठ प्रतिदिन आपके लिए प्रार्थना करने को आतुर रहेंगे ।