श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

कर्तव्यनिष्ट बनो

जीवन में सुख और शांति प्राप्त करने का एक अचूक मार्ग है, वह है कर्तव्य का पालन करना। जो व्यक्ति समय और स्थान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निष्ठा के साथ पालन करना जानता है, कर्तव्य पालन में ही आनंद का अनुभव करता है, ऐसे व्यक्ति को कोई दुखी नहीं कर पाता है। इसलिए नारायण श्री कृष्ण ने गीता में अपना उपदेश देते हुए कर्तव्य में धर्म को इस प्रकार से कहा है, अन्य अन्य जगह भी कर्तव्य को धर्म की श्रेणी में लिया गया है। निष्ठा के साथ-साथ पर-कल्याण की भावना से जो सदाशय से काम किया जाता है वह कर्म धर्म की श्रेणी में आता है, पूजा की श्रेणी में आता है।

जिस जिस पुरुष ने प्रतिकूलता के समय में भी अपने कर्तव्य का पालन किया, वह पुरुष लोक प्रशंसनीय तो हुआ ही, वह श्रद्धा का भी पात्र बना, लोगों ने उनकी पूजा की, उस जीव ने अपनी आत्मा का कल्याण किया। कर्तव्य का पालन यदि छोटा व्यक्ति भी करता है, छोटा बालक भी करता है , सामान्य व्यक्ति भी करता है, तब वह भी कर्तव्य के माध्यम से प्रशंसनीय और समादरणीय होता ह। जो अपने कर्तव्य का उल्लंघन करता है, वह चाहे बालक हो चाहे पालक, चाहे वृद्ध हो या युवा, चाहे शासक हो या शासित , राजा हो या रंक, विद्वान हो या मूर्ख, पुरुष हो या स्त्री ,पशु हो या पक्षी, कोई भी हो क्यों ना हो , जो कोई भी अपने कर्तव्य का उल्लंघन करता है वह लोक निंदा का पात्र बनता है। कर्तव्य पालन करने वाला व्यक्ति अपने आप में जो आनंद का अनुभव करता है वह आनंद कर्तव्य हीनता से प्राप्त नहीं किया जा सकता। कर्तव्य पालन के साथ-साथ दूसरी बात यह ध्यान रखना है कि जीवन में कभी भी अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना है। कर्तव्य का पालन करके जब अधिकारों का सदुपयोग किया जाता है तब वह व्यक्ति आदर्श पुरुष, युग पुरुष, महापुरुष, महात्मा पुरुष, परमात्मा पुरुष, कहा जाता है ।आदर्शों का पालन अनुकूलताओं में तो बहुत से लोग करते हैं किंतु विशेषता तो तब है कि प्रतिकूलताएं सब तरफ से तैयार हो उस समयभी वह अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा के साथ करें, उस कर्तव्य में भी आनंद की अनुभूति करें, तब वह वास्तव में कर्तव्य का पालन करता है ।

दुनिया में जिस जिस ने अपने कर्तव्यों का पालन किया उसने लोक मेंख्याति प्राप्त की और जगत पूज्य बना। श्रवण कुमार ने अपने वृद्ध माता-पिता को डोली में बिठाकर डोली अपने कंधों पर रखकर तीर्थयात्रा करायी, जो पुत्र का माता-पिता के प्रति कर्तव्य है उसका पालन किया। आज श्रवण कुमार हम सबके लिए एक आदर्श है। राजा हरिश्चंद्र ने सत्य के लिए अपने राज्य वैभव का त्याग किया अपने कर्तव्यों के लिए न जाने क्या-क्या उनको करना पड़ा, आज सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के
नाम से जाने जाते हैं। रामचंद्र जी ने अपने कर्तव्य पालन के लिए राज पाठ छोड़कर 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया, माता सीता ने अपना कर्तव्य पालन करने के लिए राम के साथ 14 वर्ष वनवास में बिताये और लक्ष्मण अपना कर्तव्य निभाने के लिए अपने भाई भाभी की सेवा के लिए 14 वर्ष वनवास में रहे , राम अगर राज्य स्वीकार करते तो एक राजा बनते, लेकिन राम ने राज्य को त्याग कर वनवास स्वीकार किया तो वह जगत पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बने।

हम चाहे जहां पर भी हैं, जिस स्थान पर है ,उस पद पर रहते हुए हमारा जो कर्तव्य है उसका निष्ठा से पालन करना ही हमारा कर्तव्य है। अगर हम अपने कर्तव्यों को निष्ठा से पालन करते हैं तो हमें अपने अधिकार तो अपने आप ही मिल जाते हैं। हमें अपने अधिकार मांगने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

लेकिन अक्सर देखा जाता है कि हर व्यक्ति सिर्फ अपने अधिकार की बात करता है अपने अधिकारों का रोना रोता है, लेकिन कर्तव्य पालन में वह हमेशा पीछे रहता है। अधिकार सबको चाहिए लेकिन कर्तव्यकिसी को पालन नहीं करना है। अगर दुनिया में सब अपने अपने कर्तव्य का पालन करें तो यह दुनिया स्वर्ग बन सकती है। माता-पिता अपना कर्तव्य पालन करें और बच्चे अपना कर्तव्य का पालन करें, पति अपना कर्तव्य का पालन करें और पत्नी अपने कर्तव्य का पालन करें ,सास अपने कर्तव्य का पालन करें और बहू अपने कर्तव्य का पालन करें, राजा अपने कर्तव्य का पालन करें और प्रजा अपने कर्तव्य का पालन करें।

लेकिन देखा जाता है कि आज की युवा पीढ़ी सिर्फ अपने अधिकार की बात करती है उन्हें हर जगह अपने अधिकार चाहिए परिवार में अपने अधिकार के लिए अपने ही परिवार से लड़ने लग जाते हैं। समाज में अधिकार चाहिए ,देश में अधिकार चाहिए ,लेकिन कर्तव्य की जब बात आती है तो उन्हें लगता है कि यह हमारा काम नहीं है। हमारा अपने परिवार के लिए समाज के लिए देश के लिए जो कर्तव्य हैं उन्हें हम भूल कैसे जाते हैं अगर अधिकार चाहिए तो कर्तव्य तो निभाना ही चाहिए और अगर हम कर्तव्य निभाते रहेंगे तो अधिकार तो अपने आप मिल जाएंगे।

धन्यवाद।
महेंद्र कुमार जैन (लारा)
१ क ३ शिवाजी पार्क अलवर

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