जैन समाज में विवाह और पारिवारिक संरचना से जुड़ी समस्याएं आज एक गंभीर सामाजिक चुनौती बन गई हैं। इन समस्याओं के मूल में आधुनिक जीवनशैली, शिक्षा, संचार माध्यमों का प्रभाव, और पारंपरिक मूल्यों से दूरी जैसे कई कारक हैं। आइए इन समस्याओं के कारणों और संभावित समाधानों पर विस्तार से विचार करें।
प्रमुख समस्याएं और उनके कारण
1. विवाह में देरी और समाज से बाहर विवाह
शिक्षा और करियर की प्राथमिकता:
जैन समाज में युवतियों की शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा हो चुका है। वे प्रोफेशनल और टेक्निकल कोर्सेस में आगे हैं, जिससे विवाह की उम्र बढ़ रही है।
उच्च अपेक्षाएंः लड़कियां अपने करियर और जीवनशैली के अनुसार जीवनसाथी की अपेक्षा रखती हैं, जिससे उपयुक्त वर मिलना कठिन होता है।
सामाजिक संपर्क: कॉलेज, ऑफिस और सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य धर्मों के लोगों से संपर्क बढ़ा है, जिससे अंतरधार्मिक विवाह के मामले बढ़ रहे हैं।
2. तलाक के मामलों में वृद्धि
संयुक्त परिवार से दूरी: करियर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाह में युवा एकल परिवार की ओर अग्रसर हैं, जिससे पारिवारिक समर्थन कम हो रहा है।
सांस्कृतिक असमानता: विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच सांस्कृतिक और जीवनशैली में असमानता के कारण तालमेल की कमी होती है।
3. खानपान और जीवनशैली में परिवर्तन
पारंपरिक मूल्यों से दूरी: मांसाहारी भोजन, शराब का सेवन, और आधुनिक जीवनशैली को प्रगति का प्रतीक मानना जैन धर्म के सिद्धांतों से विचलन है।
संचार माध्यमों का प्रभाव: मोबाइल, इंटरनेट, और टेलीविजन के माध्यम से युवा पीढ़ी पर बाहरी संस्कृति का प्रभाव बढ़ रहा है।
समाधान और सुझाव
1. शिक्षा और संस्कार का संतुलन
धार्मिक शिक्षा: बचपन से ही जैन धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों की शिक्षा देना आवश्यक है।
संस्कार आधारित कार्यक्रम : समाज में संस्कार शिविर, धार्मिक प्रवचन, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें।
2. विवाह के लिए समाजिक पहल
परिचय सम्मेलन: उम्रदराज युवक-युवतियों के लिए परिचय सम्मेलन आयोजित करें।
विवाह योग्य युवाओं का डेटाबेस : समाज स्तर पर एक डेटाबेस तैयार करें, जिससे उपयुक्त जीवनसाथी की खोज आसान हो।
3. पारिवारिक संरचना को मजबूत करना
संयुक्त परिवार का प्रोत्साहन : संयुक्त परिवार की महत्ता को समझाएं और उसका समर्थन करें।
विवाह पूर्व परामर्श: विवाह से पहले पति-पत्नी को परामर्श देना, जिससे वे एक-दूसरे को समझ सकें।
4. जीवनशैली में सुधार
शुद्ध शाकाहारी भोजन: समाज में शुद्ध शाकाहारी भोजन की महत्ता को बढ़ावा दें।
धार्मिक आयोजनों में अनुशासन: शादी-विवाह जैसे आयोजनों में जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करें।
निष्कर्ष
जैन समाज में विवाह और पारिवारिक संरचना से जुड़ी समस्याएं आधुनिक जीवनशैली और पारंपरिक मूल्यों के बीच असंतुलन के कारण उत्पन्न हो रही हैं। इन समस्याओं का समाधान समाज के सभी वर्गों-युवाओं, अभिभावकों, धार्मिक नेताओं, और सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयास से ही संभव है। हमें शिक्षा, संस्कार और सामाजिक पहल के माध्यम से एक संतुलित और समृद्ध समाज की ओर अग्रसर होना चाहिए।
अभिनन्दन कुमार जैन
गायत्री नगर, जयपुर