“जैन“ – हम जैन है, लेकिन क्या हमें इस “जैन” शब्द की ताकत का अंदाजा है। मुझे लगता है कि हम लोग अपनी ताकत को ही भूल गए है। “जैन” शब्द का मतलब होता है जीतने वाला जिसने अपनी इंद्रियों को जीत लिया है वह जैन कहलाता है। हम भगवान आदिनाथ के वंशज है, वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर के वंशज है। हम जिस भारत देश में रहते हैं उस देश का नाम ही भगवान आदिनाथ के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है फिर हम अपने आप को इतना कमजोर कैसे महसूस कर रहे हैं। जो दुनिया को जीतता है वह वीर कहलाता है और जो अपने आप को जीतता है वह महावीर कहलाता है।
जीवन शैली –
जैन मात्र एक धर्म नहीं है, यह जीवन शैली है। एक रिसर्च में पाया गया कि जैन लोगों की उम्र बहुत लंबी होती है और स्वस्थ जीवन जीते हैं क्योंकि वह लोग संयमित जीवन जीते हैं , संयमित भोजन करते हैं। आप सुबह–सुबह जैन मंदिर में जाकर देखिए बहुत सारे बुजुर्ग लोग सुबह–सुबह धर्म ध्यान करते हुए मिल जाएंगे। जहां एक तरफ अन्य धर्म के बुजुर्ग लोग खाट पर पड़े रहते हैं वहीं जैन धर्म के बुजुर्ग लोग सुबह–सुबह जिन दर्शन जिन पूजा करते हैं। आज दुनिया के हर देश में जैन जीवन शैली को अपनाने वाले लोग बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। जापान जैसे देशों में बहुत सारे लोगों ने एक साथ जैन धर्म को अपनाया है। किसी पत्रकार ने अल्बर्ट आइंस्टीन से पूछा कि आपकी ऐसी कौन सी इच्छा है जो आपको लगता है अब तक आपकी पूरी नहीं हुई है तो अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा कि मुझे नहीं पता पुनर्जन्म होता है या नहीं होता है लेकिन अगर पुनर्जन्म होता है तो मेरी इच्छा है कि मेरा जन्म भारत देश में हो और मुझे जैन धर्म के अंदर जन्म मिले। आज दुनिया के बड़े–बड़े नेता अभिनेता खिलाड़ी अपने आप को स्वस्थ और फिट रखने के लिए जैन जीवन शैली को अपना रहे हैं। रात्रि भोजन का त्याग कर रहे हैं, संयमित भोजन कर रहे हैं।
लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हमारे जैन धर्म के युवा आज हमारे जैन जीवन शैली से दूर होते जा रहे हैं और पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं।
वैज्ञानिकता –
जैन धर्म पूरी तरह वैज्ञानिक धर्म है जैन धर्म के सिद्धांत पूरी तरह वैज्ञानिक सिद्धांत है। इस धर्म में रूढ़िवादिता का कोई काम नहीं है। इस धर्म के तीर्थंकरों द्वारा हजारों साल पहले दिए गए सिद्धांतों को आज पूरी दुनिया मान रही है तथा अपना रही है। भगवान महावीर ने कहा था की जो भार सहित होता है वह नीचे आता है और जो भार रहित होता है वह ऊपर जाता है। हजारों साल बाद न्यूटन गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया लेकिन आपने कई बार देखा होगा की हीलियम की गैस के गुब्बारे ऊपर जाते हैं या हल्की चीज होती है वह ऊपर जाती है।
जैन सिद्धांत के अनुसार रात्रि भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि हम अहिंसावादी होते हैं और रात्रि में सूर्यास्त के बाद वातावरण में सूक्ष्म जीव पैदा हो जाते हैं जो हमारे भोजन में मिलकर हमारे पेट के अंदर जाते हैं तथा इसका वैज्ञानिक तथ्य है की रात्रि में हमारी पाचन शक्ति कम हो जाती है और रात्रि में हम जो भी खाते हैं वह पचता नहीं है बल्कि सड़ जाता है जिससे हमारे शरीर में बहुत सारी विकृतियों आ जाती है।
इसी सिद्धांत पर रिसर्च करके दो जापानी वैज्ञानिकों ने ऑटो फेजी का सिद्धांत दिया उस सिद्धांत में बताया गया कि अगर हम रात्रि 7:00 बजे से सुबह 9:00 तक कुछ ना खाएं यानी 14 घंटे का उपवास करें तो हमारे शरीर में कोई भी बीमारी होने की संभावना बहुत कम हो जाती है तथा अगर किसी के शरीर में कोई बड़ी से बड़ी बीमारी भी है तो वह बीमारी ठीक हो जाती है क्योंकि ऑटो फेजी का मतलब ही है अपने आप को खाना जब हमारे शरीर को भूख लगती है तो वह अपने अंदर जो बीमारी के तत्व बन रहे होते हैं उन्हें खा जाता है और इस सिद्धांत को देने वाले दोनों वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जबकि यह सिद्धांत हजारों साल पहले जैन तीर्थंकरों ने दे दिया था और हम जैन श्रावक किस सिद्धांत को हजारों सालों से रात्रि भोजन के त्याग के रूप में निभा रहे हैं।
छान कर पानी पीना –
जैन तीर्थंकरों ने कहा कि छान कर पानी पीना चाहिए क्योंकि पानी की प्रत्येक बूंद में अनंत सूक्ष्म जीव होते हैं। हजारों साल बाद कुछ वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया की पानी की एक बूंद में 36450 सूक्ष्मजीव होते हैं।
जैन होना एक गर्व की बात है क्वांटिटी में हो सकता है हम कम हो लेकिन क्वालिटी में हम किसी से कम नहीं है। लेकिन नई पीढ़ी को जैन शब्द की ताकत का अंदाजा ही नहीं है। अगर हम पूर्णतया जैन सिद्धांतों पर चलें तो हम दुनिया में सबसे आगे हैं , चाहे हेल्थ की दृष्टि से देख लो चाहे वेल्थ की दृष्टि से देख लो, चाहे बौद्धिक विकास की बात करो चाहे अध्यात्म की बात करो ,चाहे सामाज की बात करो चाहे राष्ट्रभक्ति की बात करो। हम हर क्षेत्र में दुनिया के सभी लोगों से बहुत आगे हैं इसलिए हमें अपने धर्म अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए।
महेंद्र कुमार जैन ( लारा)
अलवर