आजकल बहुत लोग सोचते है की अगर कोई बूढ़ा व्यक्ति है तो उसका कोई महत्त्व नहीं है। किन्तु आज आप लोगों को एक कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूँ की बुजुर्गों का महत्त्व क्या है।
एक बार की बात है, एक लड़का था जिसका नाम रोहित था और वो एक शहर में नौकरी करता था। उसके साथ एक लड़की भी काम करती थी जिसका नाम रौशनी था। काम करते-करते ये दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और विवाह करने का निश्चय किया।
फिर इन दोनों ने अपने-अपने घर में यह बात बताई, लड़के के घर वाले बहुत खुले विचार के थे तो वो बहुत जल्दी मान गए लेकिन लड़की के पिता को ये पसन्द नही था और जब लड़के के घरवाले लड़की के घर लड़की का हाथ मांगने पहुँचे,,तो रौशनी के पिता ने एक शर्त रख दी.. की बारात में कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति नही आएगा,,,तो सबने बिना विचारे उनकी वो शर्त मान ली और दोनों परिवार विवाह की तैयारी करने लगे।
सब बहुत प्रसन्न थे क्योंकि आज वो दिन था जब रोहित और रौशनी का विवाह होना है। तो सब तैयार थे, अब बारात निकलने का समय आया, तभी रोहित के दादा ने ज़िद पकड़ ली की वो तो बारात में जायेंगे। सब लोगों ने मना किया लेकिन वो अपने जिद्द पर अडिग ही रहे, उन्होंने कहा – “भले ही मुझे कार की डिग्गी में डाल के ले जाओ, लेकिन में जाऊंगा “। फिर सब लोगो को उनकी बात माननी पड़ी, उन्हें कार की डिग्गी में डाल दिया गया और बारात निकल पड़ी।
सब नाचते गाते जा रहे थे, (रोशनी के घर से थोड़े दूर में एक नदी थी जिससे पार करने के बाद एक पहाड़ आता था उसके बाद रोशनी का घर), जब बारात पूल पार करने वाली थी उन्होंने देखा लड़की के मामा वहाँ खड़े है। बारात रुक गई, रोहित के दोस्त ने रोशनी के मामा से पूछा की “क्या हुआ? आप यहाँ क्या कर रहे है?”, रोशनी के मामा ने कहा की “मैं यहाँ बस तुम लोगों को यह बताने के लिए आया हूँ की अगर तुम लोग अपनी बारात हमारे गाँव मे लाना चाहते हो और ये विवाह करना चाहते हो तो हम लोगों की एक और शर्त है। और वो यह है की – ये जो नदी है इसमे तुम्हे पानी की जगह दूध बहाना होगा”। ये बोलने के बाद वो वहाँ से चले गए।
तब रोहित के दोस्तों ने कहा की ये असंभव है इतना दूध कंहा से लाएंगे, अब ये विवाह नहीं हो सकता और बारात वापस जाने लगी और दूर से रोशनी के मामा और पिता ये देख के हँसने लगे।
बारात वापिस हो रही थी तभी एक दोस्त ने कहा विवाह तो होना नही तो दादा जी को भी डिग्गी से बाहर निकाल लो उनका भी क्यों दम घोटना। डिग्गी खोली तो दादा जी ने पूछा “क्या हुआ? हम लोग वापस क्यों जा रहे है?”, रोहित ने उत्तर दिया “क्योंकि दादाजी उन्होंने विवाह की एक और शर्त रखी है,,वो लोग चाहते है की इस नदी में पानी के जगह दूध बहाया जाए, जो की असंभव है “।
“बस इतनी सी बात है ?”, दादा जी ने कहा। सब उनकी ये बाते सुन के सोचने लगे क्या ये इतनी सी बात है?
फिर बुजुर्ग दादा ने कहा “जाओ और रोशनी के मामा को बोलो हमने दूध की व्यवस्था कर ली है,,अब तुम लोग इस नदी को खाली करो, जिससे हम इसमे दूध बहा सके। जब ये बात रोशनी के पिता को पता लगी, उन्होंने कहा अवश्य उनके साथ कोई न कोई बुजुर्ग व्यक्ति जरूर है जिसने ये समाधान निकाला है !
उसके बाद रोशनी के पिता बिना शर्तो के विवाह के लिए मान गए। क्योंकि जिनके ऊपर बुजुर्गों के अनुभव की छत्र छाया होती है वह हर समस्या को बड़ी आसानी से पार कर जाते है,,,इसके बाद रोहित और रौशनी की एक अच्छे भविष्य की शुरुआत होती है।
कहानी का नैतिक – ‘आप कितना भी कुछ बन जाएं या कितना भी बड़े हो जाये जो बुजुर्गों के पास जिंदगी के अनुभव है वो आपके पास नहीं। उनका आदर करे।’ 🙏🙏
अशोक कुमार जैन
वीटी रोड, मानसरोवर, जयपुर