महासभा की केन्द्रीय कार्यकारिणी की दिनांक 7 जुलाई 2024 को महवा जिला दौसा में आयोजित बैठक के निर्णयानुसार एवं जयपुर शाखा का और श्री पारस चन्द जैन, पूर्व मंत्री जयपुर शाखा का जयपुर शाखा की जमीन के सम्बन्ध में महासभा की पूर्व कार्यकारिणी 2018 – 22 के द्वारा की गई कार्यवाही की जांच हेतु पत्र प्राप्त हुआ । उक्त पत्रों के साथ संलग्न दस्तावेजों एवं जयपुर शाखा के जमीन सम्बन्धी रिकॉर्ड का गहन अध्ययन किया गया। तत्पश्चात् इस कार्य से जुड़े व्यक्तियों, जमीन समिति के सदस्यों और वर्तमान शाखा अध्यक्ष एवं मंत्री जी व श्री पारस चन्द जैन, पूर्व मंत्री जयपुर शाखा के साथ ही इस स्कीम के प्लॉट होल्डर्स से व्यक्तिशतः जानकारी प्राप्त की गई। सभी से विस्तृत चर्चा एवं सभी पक्षों को सुनने के उपरान्त जयपुर शाखा रिकॉर्ड, एवं प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार जांच रिपोर्ट इस प्रकार है-
इस प्रकरण की शुरूआत 25 मई-जून, 2021 की पत्रिका में श्री अनिल कुमार जैन, बीएसएनएल के प्रकाशित लेख से हुई। यह लेख विधान की धारा 21 के उद्देश्यों के विपरीत और धारा 27 के नियम 1 से 5 तक का स्पष्ट उल्लघंन है। पत्रिका के प्रकाशन का सम्पूर्ण दायित्व विधान की धारा 23 ( 1 ) के अनुसार प्रकाशन मण्डल का है। उक्त लेख द्वेषपूर्ण भावना एवं बिना प्रमाणित दस्तावेजों के प्रकाशित किया गया। इस सम्बन्ध में प्रथमदृष्टतया तो महासभा की पूर्व कार्यकारिणी को पत्रिका प्रकाशन मण्डल के द्वारा विधान के उल्लंघन पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, जिससे यह प्रकरण इसी स्तर पर समाप्त हो जाता किन्तु पूर्व महामंत्री श्री राजीव रतन जीद्वारा सम्पादक मण्डल की गलती को छुपाने के लिए प्रकाशन पर चर्चा न कर जबरन जमीन के विषय को 2 साल बाद चर्चा का विषय बनाया गया, जिसका महासभा की कार्यकारिणी के बीच चर्चा करने का कोई औचित्य नही था, क्योंकि यह जयपुर शाखा का मामला था। अतः महासभा को भी इस प्रकरण को जयपुर शाखा को हस्तान्तरित करना चाहिए था ताकि यह मामला जयपुर शाखा और इस कार्य से सम्बन्धित व्यक्तियों के बीच ही निपट जाता। इसके बाद यदि इस मामले को जयपुर शाखा द्वारा नहीं निपटाया जाता तो फिर इसमें महासभा को हस्तक्षेप करना चाहिए था । किन्तु ऐसा नहीं हुआ। श्री अनिल कुमार जैन उस समय तत्कालीन महासभा अध्यक्ष श्री आर. सी. जैन और श्री ओम प्रकाश जी जैन की संस्था पल्लीवाल शिक्षा समिति के कोषाध्यक्ष थे। अतः निश्चित रूप से श्री अनिल जी तत्कालीन अध्यक्ष जी के निकट थे। इन्होंने महासभा में अपनी पहुंच और तत्कालीन अध्यक्ष जी की निकटता का फायदा उठाते हुए अपना झूठा और गलत तथ्यों पर आधारित लेख पल्लीवाल पत्रिका में प्रकाशित करवा लिया।
इसके पश्चात् तत्कालीन अध्यक्ष श्री आर. सी. जैन और महामंत्री श्री राजीव रतन जैन ने महासभा की मिटिंग में अपने चहेतों को बुलाकर इस मुद्दे के लिए उनसे झूठे कथन बुलवाकर इस प्रकरण को चलाया और अपने कार्यकाल की कमियों को छुपाने के लिए अपनी समस्त ऊर्जा सिर्फ और सिर्फ श्री पारस जी को दोषी सिद्ध करने में लगा दी |इनके द्वारा पल्लीवाल पत्रिका में हमेशा झूठे कथन और झूठे तथ्य छापे गये। श्री आर. सी. जैन साहब देश के सर्वोच्च प्रशासनिक पद से रिटायर्ड होने के बाद भी इस षड़यंत्र का हिस्सा ही नहीं बने बल्कि खुद के झूठे कथन पल्लीवाल पत्रिका में छपवाकर मुख्य रणनीतिकार बने गये। इसके अनेकों उदाहरण है – 25 अगस्त, 2021 की पल्लीवाल पत्रिका के पेज नम्बर 9 पर “अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा, शाखा जयपुर का भूमि विवाद” शीर्षक से श्री आर. सी. जैन ने लिखा है कि “तत्कालीन शाखा मंत्री एवं संयोजक जमीन समिति श्री पारस चन्द जैन एवं डेवलपर द्वारा श्री पल्लीवाल जैन पत्रिका के संयोजक को भेजे गए कानूनी नोटिस पहले वापस लिये जावें।” इतना ही नहीं इसी शीर्षक के चौथे पैरा मे तो उन्होंने यह भी लिखा है कि “कार्यकारिणी समिति के -अध्यक्ष की हैसियत से अत्यन्त खेद है।”
इसकी जांच करने पर पारसजी द्वारापत्रिका के संयोजक को लीगल नोटिस देने के सम्बन्ध में मुझे कोई दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए। तदुपरान्त श्री पारस जी से व्यक्तिशः जानकारी प्राप्त की गई तो उन्होंने बताया कि मैंने न तो पल्लीवाल पत्रिका के संयोजक और न ही अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा को आज तक कोई लीगल नोटिस नहीं दिया और न ही कोई केस आदि किया है। यह सरासर झूठ है।
तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा 25 अगस्त, 21 को प्रकाशित उक्त लेख में एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार यह लिखा गया है कि श्री पारस जी ने पत्रिका को कानूनी नोटिस दिया है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि तत्कालीन अध्यक्ष जो सबसे बड़े प्रशासनिक पद से रिटायर्ड हुए है वो इतना बड़ा झूठ कैसे बोल सकते है। यही नहीं उन्होंने यह भी झूठ लिखा है कि “उन्होंने समाज के स्तर पर समाधान निकालने की भरसक कोशिश की।” जबकि इनके द्वारा तत्कालीन जयपुर शाखा कार्यकारिणी और जमीन समिति से इस सम्बन्ध में कोई चर्चा नहीं की। यदि इनके द्वारा समाज के स्तर पर समाधान निकालने की कोशिश की गई होती तो इसका उल्लेख निश्चित रूप से जयपुर शाखा के पास होता। इस सम्बन्ध में तत्कालीन जयपुर शाखा अध्यक्ष, मंत्री एवं अर्थमंत्री का प्रथम पत्र जो श्री आर. सी. जैन को लिखा गया इसमें भी इनके प्रयासों का कहीं कोई जिक्र नहीं है। न ही शाखा कार्यकारिणी की किसी भी मिटिंग के मिनिट्स में इसका उल्लेख है।
पत्रिका के इसी अंक में कार्यकारिणी की दिनांक 18.72021 को आयोजित वर्म्युल (ऑनलाईन) बैठक का पेज नम्बर 7 में कार्यवाही विवरण भी छपा है इसमें भी एक तरफ तो यह छपा है कि “अध्यक्ष द्वारा बताया कि मुझे इस प्रकारण के जो भी कागजात मिले, उससे यह प्रतीत होता है कि यह योजना पूरी नहीं हो पाई। इसके लिए पारस जी अकेले दोषी नहीं है।” साथ ही यह भी लिखा है कि “कुछ भी हुआ, समाज को कुछ ना कुछ आया ही है। पत्रिका में जो लेख छपा है उस पर पारस जी का स्पष्टीकरण आ गया है। समाज हित में प्रकरण को यही समाप्त कर दिया जावे।”
इसमें दूसरी तरफ यह भी छपा है कि ” अध्यक्ष श्री आर.सी. जैन प्रकरण का पटाक्षेप कर समाज के हित में निर्णय लिया जावे। पारस जी एवं डवलपर द्वारा जो लीगल नोटिस दिये गये है वे वापिस लेवें । यदि लीगल एक्शन करते है, तो समाज के बाहर के व्यक्तियों की कमेटी बनाकर जांच करवाई जावेगी तथा दोषियों के विरूद्ध न्याययिक कार्यवाही की जावेगी।”
उपरोक्तानुसार तत्कालीन अध्यक्ष श्री आर. सी. जैन एक तरफ तो स्वयं यह मान रहे है कि पारस जी अकेले दोषी नहीं है और समाज को कुछ ना कुछ प्राप्त ही हुआ है साथ ही समाज हित में यह प्रकरण यही समाप्त किया जावे। वहीं फिर पुनः असत्य कथन भी लिख रहे है कि पारस जी ने जो नोटिस दिया है वह वापिस लें । यदि लीगल एक्शन करते है तो- — | जबकि पारस जी ने महासभा और पत्रिका संयोजक को ना तो कोई लीगल नोटिस दिया और ना ही आज तक कोई लीगल एक्शन लिया।
इसके बाद जयपुर शाखा की तत्कालीन कार्यकारिणी द्वारा पत्रिका में जयपुर शाखा की जमीन के सम्बन्ध में छपे झूठे कथनों के सम्बन्ध में दिनांक 29 अगस्त 2021 को कार्यकारिणी की मीटिंग आयोजित की गई। इस मीटिंग में कार्यकारिणी द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार शाखा अध्यक्ष श्री राजेन्द्र कुमार जैन, कैमरी, मंत्री श्री देवेन्द्र कुमार जैन और अर्थमंत्री श्री बनवारी लाल जैन के संयुक्त हस्ताक्षरों द्वारा एक पत्र श्री आर.सी. जैन तत्कालीन अध्यक्ष को लिखा गया। (पत्र संलग्न हैं) इस पत्र में इन्होंने अध्यक्ष जी को जमीन के सम्बन्ध सारी वस्तुस्थिति से अवगत करवाया है। समय-समय पर कार्यकारिणी की मीटिंग और उसके निर्णयों से भी इस पत्र में अवगत करवाया गया है। इसमें प्रारम्भ से लेकर जमीन की रजिस्ट्री करवाने तक की सभी जानकारी से अवगत करवाया गया है। इस पूरे पत्र में बार- बार यह लिखा गया है कि समय-समय पर लिये गये सारे निर्णय कार्यकारिणी और जमीन समिति के द्वारा सामूहिक रूप से लिये गये है।
इसी प्रकार दिनांक 26 दिसम्बर 2021 को मिढाकुर, आगरा की मीटिंग के मिनिट्स 25 जनवरी, 2022 की पल्लीवाल पत्रिका के पेज नम्बर 5 में प्रकाशित हुए। इसमें भी इसी ग्रुप के सदस्यों के द्वारा झूठे कथन प्रकाशित करवाये गये। इसमें लिखा है कि “सर्वप्रथम श्री आर.सी. जैन अध्यक्ष द्वारा विधिक नोटिस वापिस लेने पर राजी नहीं हुए।” इस सम्बन्ध में श्री पारस जी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह बात तत्कालीन अध्यक्ष जी द्वारा आधी अधूरी और तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत की गई है। उन्होंने बताया कि अध्यक्ष जी से मेरी वार्ता एक बार नहीं कई बार हुई है और मैंने हर बार यह कहा था कि मेरे द्वारा पत्रिका संयोजक और महासभा को कोई नोटिस दिया ही नही तो वापिस क्या लूं ?बिल्डर के नोटिस को वापिस करवाने हेतु मैंने बहुत प्रयास किये है एक बार आप भी चलों शायद आपके कहने से वापिस ले लें। तब मैं और अध्यक्ष जी बिल्डर के आफिस गये। बिल्डर द्वारा अध्यक्ष जी से कहा गया कि ये आपके समाज में आपस की लड़ाई है इसमें मेरी स्कीम के बारे में छाप कर मेरी स्कीम को क्यों बदनाम किया जा रहा है। अतः आप एक छोटा सा खण्डन आपकी पल्लीवाल पत्रिका में छपवा दीजिये मैं नोटिस तुरन्त वापिस ले लूंगा। अध्यक्ष महोदय द्वारा बिल्डर की बात को कोई तवज्जो नहीं दी गई और उनकी बात को अनसुना करते हुए उल्टा बिल्डर पर दबाव बनाया कि कोई खण्डन नहीं छपेगा आपको नोटिस वापिस लेना पडेगा। इस पर भी बिल्डर ने पुनः वहीं बात बहुत ही शालीनता से दोहराई लेकिन अध्यक्ष महोदय अपनी जिद पर अडे रहे और ऐसा लग ही नहीं रहा था कि अध्यक्ष महोदय यहां सुलह करने आये है बल्कि नाराज होकर वहां से आ गये। जब बिल्डर और अध्यक्ष महोदय के बीच बात नहीं बनी उल्टे गतिरोध और बढ़ गया तब भी मेरे द्वारा प्रयास जारी रहे। मेरे द्वारा पुनः बिल्डर से बात की गई। मेरे बार-बार अनुरोध करने पर बिल्डर द्वारा कहा गया कि पारस जी आप कहते हैं तो मैं इतना कर सकता हूं कि अब आगे कोई कार्यवाही नहीं करूंगा जो नोटिस मेरे द्वारा दिया गया है उसको तो मैं वापिस नहीं लूंगा लेकिन अब आगे न तो कोई नोटिस दूंगा और न ही कोई विधिक कार्यवाही करूंगा। बिल्डर द्वारा दिये गये आश्वासन को मेरे द्वारा श्री आर.सी. जैन तत्कालीन अध्यक्ष महोदय को उसी समय बता दिया गया था। मुझसे किये गये अपने वायदे के अनुसार बिल्डर द्वारा आज तक किसी भी तरह की कोई विधिक कार्यवाही नहीं की गई है । यह सब तत्कालीन अध्यक्ष महोदय द्वारा पड़यत्र के तहत महासभा की किसी भी मिटिंग में नहीं रखा गया ।
इसी मीटिंग में सदस्य द्वारा कहा गया कि “कोई भी कार्यवाही से पहले जयपुर शाखा में विचार-विमर्श किया जावे।” इस बात को भी अनसुना किया गया। इसी मीटिंग में एक सदस्य ने तो झूठ की पराकाष्ठा को पार करते हुए यहां तक कहा कि “प्रकरण जयपुर में नहीं निपटा तभी तो यहां आया है। इसलिए प्रकरण में यहां चर्चा होना आवश्यक है।” जबकि ये सज्जन न तो जयपुर से है और न ही इस स्कीम में प्लाट होल्डर है। तत्कालीन जयपुर शाखा कार्यकारिणी के पत्र से स्पष्ट है कि यह प्रकरण जयपुर में कभी आया ही नहीं।
इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद दिनांक 3.422 को तत्कालीन जयपुर शाखा कार्यकारिणी की मीटिंग हुई। कार्यकारिणी के निर्णयानुसार पुनः एक और पत्र जयपुर शाखा मंत्री श्री देवेन्द्र कुमार जैन द्वारा 94-2022 को तत्कालीन अध्यक्ष श्री आर.सी. जैन को लिखा गया (पत्र संलग्न हैं)। इस पत्र में भी जमीन सम्बन्धी समस्त कार्यवाही का विस्तार से वर्णन किया गया। इस पत्र में स्पष्ट लिखा है कि “उक्त चार हजार वर्ग गज जमीन जयपुर शाखा की वर्तमान कार्यकारिणी निवृत्तमान कार्यकारिणी व समय-समय पर गठित जमीन समिति एवं जयपुर समाज के अथक प्रयासों से जयपुर शाखा को प्राप्त हुई है। बल्कि इस पत्र में तो यहां तक लिखा है कि महासभा द्वारा उत्पन्न विवाद के कारण समाज एवं भूखण्डधारियों को जमीन विवादित होने व समाज के हाथ से जाने का भय व्याप्त हो गया है। इस पत्र में यह भी लिखा गया है कि इससे समाज में वैमनस्यता बढ़ रही है आपसी भाईचारा खत्म हो रहा है, एकजुटता और समरता खत्म हो रही है। इस पत्र के अनुसार तो महासभा द्वारा इस मुद्दे को अपने स्तर पर चलाने से जयपुर शाखा को हर स्तर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है जिसकी जिम्मेदारी निश्चित रूप से तत्कालीन अध्यक्ष, महामंत्री की होनी चाहिए । अत्यन्त खेद का विषय है कि तत्कालीन अध्यक्ष जी द्वारा षड़यंत्र के तहत इस पत्र को भी महासभा की किसी भी मीटिंग में नहीं रखा।
इसके बाद 25 अप्रैल,2022 की पल्लीवाल पत्रिका के अंक में 10 अप्रेल 2022 को मुम्बई में आयोजित महासभा कार्यकारिणी की बैठक का कार्यवाही विवरण एवं श्री आर. सी. जैन की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच रिपोर्ट प्रकाशित की गई।
इस मीटिंग की कार्यवाही विवरण को देखने पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जयपुर शाखा की इस जमीन के सम्बन्ध में बोलने वाले सदस्यों में से किसी भी सदस्य ने इस स्कीम में कोई प्लाट नहीं लिया। जिन्होंने प्लाट लिया है उनको आज तक कोई आपत्ति नहीं, जिस शाखा की जमीन है, वहां कोई विवाद नहीं लेकिन महासभा के स्तर पर अध्यक्ष द्वारा स्वयं एवं अपने ग्रुप के सदस्यों द्वारा झूठे कथन बुलवाकर इस जमीन को विवादित बनाने में लगे हुए थे। श्री आर. सी. जैन की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच रिपोर्ट जो इनकी मंशा के अनुरूप थी उसको भी इसी अंक में प्रकाशित किया गया। इस अंक में प्रकाशित कार्यवाही विवरण एवं रिपोर्ट के सम्बन्ध में जयपुर शाखा कार्यकारिणी की दिनांक 8 जून 2022 को मीटिंग आयोजित की गई। उक्त मीटिंग के निर्णयानुसार जयपुर शाखा द्वारा दिनांक 13.6.2022 को श्री राजीव रतन जैन, महामंत्री को पत्र लिखा गया (पत्र संलग्न है)। इस पत्र में जमीन सम्बन्धी महासभा के विवाद पर विस्तार से लिखा गया है। इसमें दोनों जांच समिति की रिपोर्टों में दिये गये तथ्यों पर शाखा रिकार्ड के अनुसार विवेचना की गई है और यह साबित किया गया है कि दोनों जांच रिपोर्टों के तथ्य वास्तविकता से परे और झूठे है। महामंत्री जी के द्वारा जयपुर शाखा के इस तीसरे पत्र को भी महासभा की किसी भी मीटिंग की कार्यवाही में नहीं लिया गया ।
जमीन संबंधित कार्य का मुख्य बिन्दू 4000 वर्गगज जमीन जेडीए पट्टे सहित प्राप्त करना था। दस्तावेजों के अध्ययन पर पाया गया कि 2016-18 की कार्यकारिणी द्वारा नियुक्त जमीन समिति द्वारा तीसरे और आखिरी एमओयू में स्पष्ट लिखा हुआ था की पूर्ण भुगतान के बाद बिल्डर अपने खर्चे पर जेडीए पट्टा संस्था के नाम से निकलवाकर देगा। इसके पश्चात् 2016-18 की कार्यकारिणी का कार्यकाल 2 सितम्बर 2018 को समाप्त हो गया । श्री पारस चन्द जैन, मंत्री द्वारा शाखा एवं जमीन से सम्बन्धित समस्त दस्तावेज तत्कालीन शाखा मंत्री देवेन्द्र कुमार जैन को दिनांक 9 सितम्बर, 2018 को संभला दिये गये। इस प्रकार दिनांक 9 सितम्बर, 2018 के पश्चात् जमीन के सम्बन्ध में सम्पूर्ण दायित्व तत्कालीन कार्यकारिणी एवं तत्कालीन अध्यक्ष और मंत्री का था । तत्कालिन कार्यकारिणी द्वारा श्री पारस जैन से इस कार्य के लिए जो सहयोग मांगा गया, वो उन्होने अपनी क्षमतानुसार दिया। तत्कालीन कार्यकारिणी द्वारा अध्यक्ष राजेन्द्र कैमरी जी के नेतृत्व में जमीन से सम्बन्धित समस्त कार्यवाही की गई। इसी कार्यकारिणी के द्वारा दिनांक 16 दिसम्बर 2018 को 8 सदस्य की शाखा अध्यक्ष के नेतृत्व में शाखा मंत्री सहित नई जमीन समिति का गठन किया गया। उक्त समिति के प्रयासों के बाद 07 भूखण्डों का भुगतान बाकी रहा जो लगभग 60 लाख रूपये था। इस सम्बन्ध में बिल्डर से आखरी मिटिंग शाखा अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार जैन, कैमरी के नेतृत्व में तत्कालीन जमीन समिति के सदस्यों के साथ दिनांक 27 मार्च 2019 को हुई। उक्त मीटिंग में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया की बकाया भुगतान 01 माह के अन्दर कर दिया जायेगा अन्यथा एमओयू की समस्त शर्तें समाप्त मानी जायेगी। लेकिन शाखा अध्यक्ष श्री राजेन्द्र कुमार जैन कैमरी द्वारा बिल्डर से सम्पर्क नहीं किया गया तत्पश्चात् उनकी अध्यक्षता में शाखा कार्यकारिणी की मीटिंग दिनांक 262019, 21.7.2019 एवं 4.8.2019 के निर्णयानुसार श्री राजेन्द्र कुमार जैन, कैमरी के नेतृत्व में दिनांक 14 अक्टूबर 2019 को संस्था के नाम रजिस्ट्री करवा ली गई। यह तत्कालीन शाखा अध्यक्ष, मंत्री एवं अर्थमंत्री द्वारा महासभा को दिये गये दिनांक 29 अगस्त 2021 के पत्र से स्पष्ट है। इस जमीन पर जयपुर शाखा का पूर्णरूपेण कब्जा है।
इस सम्बन्ध में मैंने इस स्कीम में भूखण्ड लेने वाले प्लाट होल्डर्स से भी बात की क्योंकि इस पूरे मामले में यदि सबसे महत्वपूर्ण कोई है तो वह सभी प्लाट होल्डर्स है। उनके द्वारा खरीदे गये भूखण्डों की एवज में ही यह चार हजार वर्ग गज जमीन जयपुर शाखा को निःशुल्क प्राप्त हुई है। प्लाट होल्डर्स से बात करने पर उन्होंने बताया कि हमने प्लाट 6200 /- रूपये प्रति वर्ग गज में जीडीए पट्टे सहित एग्रीमेन्ट के द्वारा सीधे बिल्डर से खरीदा है। पूरा भुगतान भी सीधे बिल्डर को ही किया है, जिसकी रसीद भी बिल्डर द्वारा हमें दी गई है। इस लेनेदेन में जयपुर शाखा, पारस जी या कोई भी अन्य व्यक्ति बीच में नहीं था। आज हमारे प्लाट की कीमत तीन गुना हो गई है। हम सभी प्लाट होल्डर्स पूरी तरह सन्तुष्ट है हमें किसी भी प्रकार की कोई शिकायत न पहले कभी थी और न ही आज है बल्कि हम जयपुर शाखा को धन्यवाद देते है कि आज हमारे प्लाट की कीमत तीन गुना हो गई है।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि:-
1. यह कार्य जयपुर शाखा कार्यकारिणी 2016-18 के निर्णय अनुसार अध्यक्ष श्री हीरा लाल जी के नेतृत्व में प्रारम्भ किया गया था और 2018-22 में तत्कालिन अध्यक्ष राजेन्द्र कैमरी के नेतृत्व में रजिस्ट्री करवा कर सम्पन्न किया गया था। पारस जैन संयोजक के द्वारा इस कार्य में सिर्फ अपनी क्षमता अनुसार सहयोग किया गया था ।
2. यह चार हजार वर्ग गज जमीन प्लाट होल्डर्स द्वारा खरीदे गये भखण्ड़ों की एवज में जयपुर शाखा को निःशुल्क प्राप्त हुई है। इसमें महासभा द्वारा किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया गया है। इसमें किसी भी व्यक्ति के द्वारा कोई राशि नहीं दी गई है। यह जमीन जयपुर शाखा कार्यकारिणी और जयपुर समाज के लोगों के प्रयासों से निःशुल्क प्राप्त हुई है।
3. इस पूरे प्रकरण में जयपुर शाखा अथवा अन्य किसी भी व्यक्ति के द्वारा पैसों का कोई लेनदेन नहीं किया गया है। प्लाट होल्डर्स द्वारा भूखण्ड सीधे ही बिल्डर से खरीदे गये है। रूपयों का लेनदेन भी प्लाट होल्डर्स और बिल्डर के मध्य हुआ है जिसकी रसीद / एग्रीमेन्ट भी बिल्डर के द्वारा प्लाट होल्डर्स को दे दिया गया।
4. वर्ष 2016-18 की तत्कालीन कार्यकारिणी और जमीन समिति के निर्णयानुसार और अन्तिम एमओयू के अनुसार इस जमीन का जेडीए पट्टा बिल्डर के द्वारा स्वयं के खर्चे पर दिया जाना था किन्तु इनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद नयी कार्यकारिणी वर्ष 2018-22 के द्वारा यह कार्य पूर्ण किया जाना था। नयी कार्यकारिणी द्वारा कुल बुक हुए भाण्डों में से सिर्फ कुछ भूखण्डों का पैसा ही बुकिंगकर्ता से बिल्डर को दिलवाने थे किन्तु सितम्बर 2018 से लेकर सितम्बर 2019 अर्थात् पूरे एक साल में भी अधिक समय में नयी कार्यकारिणी द्वारा बचा हुआ मात्र कुछ प्रतिशत कार्य को भी पूरा नहीं कर पायी। जबकि सामाजिक कार्यों में जब पुरानी कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो बचे हुए कार्य की जम्मेदारी आने वाली नयी कार्यकारिणी की होती है। श्री राजेन्द्र कुमार जैन, कैमरी के नेतृत्व में 14 अक्टूबर, 2019 को इस जमीन की रजिस्ट्री करवायी गई।
5. तत्कालीन शाखा अध्यक्ष और मंत्री श्री राजेन्द्र कुमार जैन, कैमरी और श्री देवेन्द्र कुमार जैन ने चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में भी समाज से वादा किया था कि इस कार्य को पूरा कर चार हजार वर्ग गज जमीन का जेडीए पट्टा उनके द्वारा समाज को दिलवाया जायेगा। इतना ही नहीं इन्होंने तो यह वादा भी किया था कि हम इस जमीन पर जेडीए से नक्शा पास करवाकर बड़े पल्लीवाल भवन का शिलान्यास करवायेंगे। साथ ही इन्होंने यह भी लिखा है कि वर्तमान पल्लीवाल भवन, मानसरोवर की खाली जमीन पर बड़ा हॉल बनवायेंगे। यह सब इनके घोषणा पत्र का प्रथम और मुख्य बिन्दू है ।
6. श्री राजेन्द्र कुमार जैन, कैमरी और श्री देवेन्द्र कुमार जैन अपने इसी मुख्य वादे के कारण समाज का विश्वास जीत पाये और चुनाव जीतकर तत्कालीन अध्यक्ष और मंत्री पद पर आसीन हुए । इस प्रकार अपने वायदे के अनुसार व तत्कालीन शाखा अध्यक्ष और मंत्री होने के नाते एवं आखिरी एमओयू की शर्तों के अनुसार इस चार हजार वर्ग गज जमीन के जेडीए पट्टे की जिम्मेदारी भी निश्चित रूप श्री राजेन्द्र जी कैमरी और श्री देवेन्द्र जी की थी जिसे ये पूरा नहीं कर पाये।
7. जमीन के सम्बन्ध में किसी की कोई भी शिकायत शाखा कि किसी भी कार्यकारिणी को आज तक भी प्राप्त नहीं हुई है। इस सम्बन्ध में कोई भी विवाद कभी भी शाखा में नहीं था फिर भी यदि श्री अनिल कुमार जैन, बीएसएनएल को कोई शिकायत थी तो पहले तत्कालीन जयपुर शाखा कार्यकारिणी को देना चाहिए था । यदि जयपुर शाखा कार्यकारिणी में इसका निपटारा नहीं होता तब महासभा को हस्तक्षेप करना चाहिए था ।
8. जयपुर शाखा द्वारा तत्कालीन महासभा अध्यक्ष और महामंत्री जी के लिखे गये तीन पत्रों को इनके द्वारा षड़यंत्र के तहत महासभा की किसी भी मीटिंग की कार्यवाही में नहीं रखना एवं कार्यकारिणी सदस्यों से छुपाना । निश्चित रूप से जयपुर शाखा और श्री पारस जी के विरूद्ध षड़यंत्र था ।
उपलब्ध दस्तावेजों को देखने के पश्चात् इस प्रकरण में ये बहुत ही आश्चर्यजनक था कि पूर्व अध्यक्ष की पहल पर महासभा द्वारा समाज में काबिल व्यक्तियों की उपेक्षा कर समाज के बाहर के अपने परिचित व्यक्तियों से जांच करवायी गई। जब इस जांच रिपोर्ट में जयपुर शाखा और श्री पारस जी के विरूद्ध कुछ भी नहीं पाया गया तो इस रिपोर्ट की विवेचना के विरूद्ध जाकर पुनः खुद की अध्यक्षता में पाचं व्यक्तियों की कमेटी बनायी गई। जब समाज के बाहर के व्यक्तियों से ही निष्पक्ष जांच करवानी थी तो पुनः समाज के व्यक्तियों से जांच करवाना निश्चित रूप से महासभा के पूर्व अध्यक्ष और महामंत्री की मंशा पर ही नहीं बल्कि इनकी कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है । जबकि महासभा के पूर्व अध्यक्ष एवं महामंत्री जी कार्यशैली से पूरा समाज भलीभांति परिचित है। क्योंकि नागपुर का नामांकन और हस्तिनापुर का चुनाव पूरे समाज ने भुगता है, जिसके कारण समाज को शर्मसार होना पड़ा है। इस कारण इनको पूरे समाज के सामने इस्तीफा देना पड़ा।
उपरोक्त समस्त तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष के रूप में यह उद्घटित होता है कि यह पूरा मामला सम्पादक मण्डल की गलती को छुपाने के लिए मनगढन्त, झूठा और व्यक्तिगत द्वेषता का है। इसके लिए महासभा के मंच का ही नहीं बल्कि पत्रिका का भी दुरूपयोग किया गया है। जयपुर शाखा के पत्रों और श्री पारस जी, जो कि महासभा के कार्यकारिणी सदस्य होने के बावजूद भी इनके पत्रों का प्रकाशन नहीं करना, समाज में इनके द्वारा पत्रिका को लीगल नोटिस देने का भ्रम फैलाना, जयपुर शाखा के पत्रों को बार-बार महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष और महामंत्री जी व पत्रिका सम्पादक मण्डल द्वारा नजर अंदाज करना शाखा के पत्रों को कार्यकारिणी की बैठक में सदन के पटल पर नहीं रखना, कार्यकारिणी सदस्यों से छुपाना निश्चित रूप से श्री पारस जी और जयपुर शाखा के विरूद्ध षड़यंत्र है। इसके कारण सम्पूर्ण पल्लीवाल जैन समाज में जयपुर शाखा और श्री पारस जी की प्रतिष्ठा को आघात पहुँचा है, जो समाज हित में कतई नहीं है। अतः यह स्पष्ट है कि तत्कालिन महासभा अध्यक्ष, महामंत्री जी द्वारा महासभा के पटल पर पारस जी को दोषी सिद्ध करने के लिए जयपुर शाखा की 4000 वर्गगज जमीन का झूठा प्रकरण चलाया है। अतः महासभा के पटल पर जबरदस्ती एवंषड़यंत्र के तहतचलाया गया यह प्रकरण दुर्भावना से ग्रसित झूठा और तथ्यों से परे है।
प्रतिलिपि :-
1. अध्यक्ष / मंत्री श्री पल्लीवाल जैन महासभा, शाखा जयपुर ।
2. संयोजक / सम्पादक, श्री पल्लीवाल जैन डिजीटल पत्रिका को उक्त जांच रिपोर्ट प्रकाशनार्थ प्रेषित है।
3. श्री पारस चन्द जैन, पूर्व मंत्री जयपुर शाखा को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है।
त्रिलोक चन्द जैन
राष्ट्रीय अध्यक्ष
पल्लीवाल पत्रिका में श्री पारस चंद जैन खेड़ली, पूर्व मंत्री जयपुर शाखा के खिलाफ जयपुर शाखा की जमीन संबंधित पल्लीवाल पत्रिका में बदनीयति से जो पत्र छापा था, उसके जवाब में जयपुर शाखा ने महासभा को 3 पत्र लिखे थे, जिनको तत्कालीन महासभा अध्यक्ष/मंत्री ने दरकिनार कर रखा था, वो आज डिजिटल पत्रिका में प्रकाशित किए हैं, जिससे सारा मामला स्पष्ट हो गया है कि बेवजह तूल देकर जयपुर शाखा की जमीन के मामले में श्री पारस चंद जैन खेड़ली को बदनाम किया जा रहा था।
अध्यक्ष महोदय श्री त्रिलोक चंद जैन की जमीन संबंधित विस्तृत जांच रिपोर्ट से अब मामला क्लियर है, कि कहीं कोई विवाद है ही नहीं।