श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

कुत्ते-बिल्ली की लड़ाई में, पति-पत्नी का तलाक

आमतौर पर तलाक के पीछे घरेलू हिंसा, दहेज की मांग या पारिवारिक तनाव जैसे गंभीर कारण होते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक आईटी इंजीनियर दंपत्ति के बीच पालतू जानवरों की नोंकझोंक ने वैवाहिक जीवन को ही दांव पर लगा दिया।

पति के कुत्ते और पत्नी की प्यारी बिल्ली के बीच लगातार हो रही तकरार ने मामला इतना बिगाड़ दिया कि पत्नी ने साफ कह दिया- “मैं पति को छोड़ दूंगी, लेकिन अपनी बिल्ली को कभी नहीं।”

आठ महीने पहले प्रेम विवाह करने वाले इस जोड़े ने अब फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दाखिल कर दी है, और फिलहाल दोनों की काउंसलिंग चल रही है। आइए, इस अनोखे मामले को विस्तार से समझते है।

प्रेम विवाह से पालतू जानवरों की जंग तक

यह मामला भोपाल के एक पॉश इलाके से जुड़ा है, जहां आईटी सेक्टर में काम करने वाले एक युवा दंपत्ति रहते हैं। पति (नाम गोपनीय) की उम्र करीब 32 वर्ष है, जबकि पत्नी 28 वर्ष की हैं। दोनों की शादी जनवरी 2025 में आपसी पसंद से हुई थी, यानि कि प्रेम विवाह था। शादी से पहले दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते थे और सब कुछ सामान्य लग रहा था। लेकिन शादी के बाद जब पत्नी अपनी पालतू बिल्ली को भोपाल लेकर आई, तो घर का माहौल बदल गया।

पति के पास पहले से ही एक प्यारा सा कुत्ता था, जिसका नाम ‘टॉमी’ बताया जा रहा है। इसके अलावा, उनके घर में एक खरगोश भी था और फिश टैंक में कई रंग-बिरंगी मछलियां तैर रही थीं। पत्नी की बिल्ली, जिसका नाम ‘मीना’ है, इन सबके साथ घुलमिल नहीं पाई। खासकर पति के कुत्ते टॉमी ने बिल्ली को बार-बार परेशान किया। पत्नी के अनुसार, टॉमी न केवल बिल्ली पर भौंकता था, बल्कि कई बार हमला करने की कोशिश भी की। एक बार तो बिल्ली घायल भी हो गई।

पत्नी ने बताया, “मेरी बिल्ली मेरी जान है। वह मेरी पुरानी साथी है। लेकिन पति का कुत्ता उसे डराते रहता हैं। मैंने कई बार कहा, लेकिन पति ने कुछ नहीं किया।”

दूसरी ओर, पति का कहना है कि बिल्ली घर में अशांति फैला रही है। वह कुत्ते को चिढ़ाती है, खरगोश के पास जाती है और फिश टैंक की मछलियों का पीछा करती है। पति ने कहा, “मेरे पालतू जानवर पहले से यहां थे। बिल्ली आने के बाद सब बिगड़ गया। वह मछलियों का शिकार करने की कोशिश करती है, जिससे घर में तनाव रहता है।” इन छोटी-छोटी बातों ने धीरे-धीरे वैवाहिक जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया। झगड़े बढ़े, बातें बिगड़ीं और आखिरकार दोनों ने फैसला किया कि अलग हो जाना ही बेहतर है।

तलाक की याचिका और पत्नी का साफ स्टैंड

सितंबर 2025 की शुरुआत में दोनों ने भोपाल फैमिली कोर्ट में तलाक की संयुक्त याचिका दाखिल की। याचिका में दोनों ने एक-दूसरे पर ‘अनुचित व्यवहार’ का आरोप लगाया, लेकिन मुख्य कारण पालतू जानवरों का आपस में न बनना बताया। पत्नी ने कोर्ट में साफ कहा, “मैं पति को छोड़ दूंगी, लेकिन बिल्ली को नहीं। वह मेरी फैमिली का हिस्सा है।” पति ने भी कहा कि वह अपनी पालतू जानवरों को कभी नहीं छोड़ेगा। यह मामला कोर्ट में पहुंचते ही चर्चा का विषय बन गया।

फैमिली कोर्ट के काउंसलर शैल अवस्थी को इस केस की जिम्मेदारी सौंपी है। शैल अवस्थी, जो भोपाल फैमिली कोर्ट में वरिष्ठ काउंसलर हैं, ने बताया, “यह एक अनोखा मामला है। आमतौर पर तलाक के पीछे आर्थिक या भावनात्मक मुद्दे होते हैं, लेकिन यहां पालतू जानवरों का प्रेम ही समस्या बन गया है। हम दोनों को अलग-अलग काउंसलिंग दे रहे हैं ताकि वे समझ सकें कि क्या यह समस्या इतनी बड़ी है कि रिश्ता तोड़ लें।” काउंसलिंग सत्रों में काउंसलर ने दंपत्ति को सलाह दी कि वे पालतू जानवरों के लिए अलग-अलग स्पेस बनाएं, जैसे बिल्ली के लिए अलग कमरा या कुत्ते को ट्रेनिंग दें। लेकिन फिलहाल दोनों अड़े हुए हैं।

काउंसलिंग का प्रोसेस: क्या बचेगा रिश्ता?

भोपाल फैमिली कोर्ट में तलाक के मामलों में काउंसलिंग अनिवार्य है। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत, कोर्ट पहले 3-6 महीने की काउंसलिंग करवाता है ताकि दंपत्ति में समझौता हो सके। इस मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है। काउंसलर शैल अवस्थी ने बताया कि पहले सत्र में दोनों ने अपनी शिकायतें रखीं। पत्नी ने बिल्ली की तस्वीरें दिखाईं और कहा कि वह बिना बिल्ली के नहीं रह सकती। पति ने कुत्ते का वीडियो प्ले किया, जिसमें टॉमी खेलते हुए दिख रहा था।

काउंसलिंग के दौरान काउंसलर ने कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए:

पालतू जानवरों की ट्रेनिंग: पति को कुत्ते को बिल्ली से दोस्ती सिखाने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनर से मदद लेने को कहा।

अलग स्पेस: घर में पालतू जानवरों के लिए अलग-अलग जोन बनाना, जैसे बिल्ली के लिए ऊपरी शेल्फ।

कॉम्प्रोमाइज: दोनों को समझाया कि पालतू जानवर महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वैवाहिक रिश्ता इससे ऊपर होना चाहिए।

अभी तक दो काउंसलिंग सत्र हो चुके हैं, और अगला सत्र अगले सप्ताह निर्धारित है। काउंसलर का मानना है कि युवा दंपत्ति होने के कारण समझौता संभव है। लेकिन यदि काउंसलिंग असफल रही, तो कोर्ट तलाक पर फैसला लेगा।

पालतू जानवर और वैवाहिक जीवन: एक व्यापक नजरिया

यह मामला केवल एक दंपत्ति की कहानी नहीं, बल्कि आधुनिक जीवनशैली का प्रतिबिंब है। आजकल शहरों में पालतू जानवरों को फैमिली मेंबर की तरह रखा जाता है। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत में पालतू जानवरों की संख्या 3 करोड़ से अधिक है, और युवा जोड़ों में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पालतू जानवर तनाव कम करते हैं, लेकिन यदि वे रिश्ते में दरार डालें, तो समस्या गंभीर हो जाती है। भोपाल के एक साइकोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग शर्मा ने कहा, “यह मामला दिखाता है कि शादी से पहले पालतू जानवरों के बारे में खुलकर बात होनी चाहिए। छोटी बातें बड़ी बन जाती हैं।” इसी तरह, एक अन्य मामले में उत्तराखंड में पति ने पत्नी के तोते को लेकर असहमति जताई थी, जो तलाक का कारण बना।

प्रभाव और भविष्य: क्या होगा

यह मामला तलाक के बुनियादी कारणों से अलग नहीं है। अहम् और वहम के कारण पारिवारिक विवाद पूर्ण आहूति का नवीनीकरण है।

पश्चिम की नकल से उपजी समानता के अधिकार का प्रदूषित नमुना है। समझोता-शर्तो की बुनियाद पर खड़े किए जा रहे परिवार, जिस में प्रेम-प्यार भी शर्तों के साथ हो उसका एक रुप है।

अपने बेटे-बेटियां के विवाह सम्बन्धो से पहले सांस्कृतिक संस्कारों को जानना आवश्यक है।

अशोक कुमार जैन

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