श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

सम्पादकीय —

सामाजिक चेतना का अभाव

किसी भी घटना / उत्थान आदि का अभुदय समाज में चेतना जागृत करने से ही संभव हो पाता है। इस आशय की पूर्ति के लिए प्रार्थी को अपने समाज से जुडना पडता है। लेकिन दृश्य कैसा है यह आपके सामने है। हम अपने परिवार / समाज / धर्म को दर किनार कर तुच्छ लाभ के लिए अन्य धर्मो की प्रशंसा करते है तथा अपने धर्म को भी गौण कर नजर अन्दाज करने लगते है। इसके दो कारण हो सकते है। प्रथम व्यक्ति का समाज से दूर रहना इसमें यह भी संभव है कि वह व्यक्ति ऐसे स्थान पर निवास किया हो या कर रहा है जहाँ अपने समाज और धर्म के लोग नही रहते हो। दूसरा कारण अपने धर्म को जानता ही नही हो ऐसा इसलिए संभव हो सकता है कि व्यक्ति अपने धर्म के प्रति निष्ठा नही रखता हो जहाँ जैसा धार्मिक वातावरण उसे उपलब्ध हुआ हो उसी की प्रशंसा करने लगे ।
इस प्रकार के लोग ही समाज में विग्रह के कारण उत्पन्न करने लगते है। अतः समाज अपने लोगो से यह अपेक्षा करता है कि आप समाज से जुडे और समाज के अनुयायी जिस धर्म का पालन करते है उसे जाने और अन्तःकरण से धार्मिक आचरण का पालन करते हुऐ अपने धर्म की प्रभावना करे। इन्ही सब प्रयासों से समाज में चेतना जागृत होगी और बन्धुत्व का विकास होगा। केवल भौतिक भोगों से अपना भला होने वाला नही है इसको समझने की जरूरत है।

रमेश पल्लीवाल
सम्पादक

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