श्री पल्लीवाल जैन डिजिटल पत्रिका

अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा

(पल्लीवाल, जैसवाल, सैलवाल सम्बंधित जैन समाज)

समाज

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है , वह जन्म से लेकर मृत्यु तक समाज के बीच में रहता है ! मनुष्य के जीवन में समाज का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है, समाज के बिना मनुष्य का कोई वजूद नहीं होता है और उस समाज को चलाने के लिए एक सामाजिक व्यवस्था होती है, उस व्यवस्था के तहत कोई संस्था या संगठन होता है, जो समाज को सुव्यवस्थित रखता है! समाज में सामंजस्य बनाए रखना और समाज के लोगों के हितों का ध्यान रखना उस संस्था का काम होता है, उस संस्था को चलाने के लिए समाज द्वारा चुने गए कुछ प्रतिनिधि होते हैं जिन्हें समाज के उच्च पदों पर बैठाया जाता है, वह लोग समाज का चेहरा होते हैं! उच्च पदों पर बैठे लोगों के व्यवहार से ही समाज को जाना जाता है ! अगर उच्च पदों पर बैठे लोग समाज के हितों के बारे में सोचते हैं , समाज का आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं तो अन्य समाज में भी उस समाज की छवि बहुत अच्छी बन जाती है, अन्य समाज के सामने वह समाज एक सभ्य और सुव्यवस्थित समाज के रूप में जाना जाता है और वह समाज निरंतर आगे बढ़ता है फलता फूलता है!

लेकिन जिस समाज में समाज के उच्च पदों पर बैठे लोग ही आपस में लड़ते- झगड़ते हो, एक दूसरे की टांग खींचाइ करते हो, एक दूसरे का तिरस्कार करते हो, एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हो, ऐसे समाज का क्या होगा! क्या ऐसा समाज आगे बढ़ पाएगा, क्या ऐसे समाज के लोग आगे बढ़ पाएंगे, क्या ऐसा समाज का कोई और समाज में रुतबा बनेगा या ऐसा समाज और समाज के लोग दूसरे समाज के बीच में हंसी का पात्र बनकर रह जाएगा ! लड झगड़ कर दुनिया में कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता है! जिस समाज के लोग आपस में एक दूसरे की टांग खींचते हो वह समाज हमेशा पतन की ओर बढ़ता रहता है! इसलिए अगर समाज को आगे बढ़ना चाहते हो तो टांग खींचने की बजाय हाथ खींचना शुरू कर दो , केकड़ों की तरह नहीं, चीटियों की तरह एक दूसरे की मदद करो, एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलो, फिर देखो इस समाज को आगे बढ़ने से कौन रोक सकता है! जो समाज मिलजुल कर रहता है मिलजुल कर चलता है और मिलजुल कर काम करता है, उस समाज की तारीफ तो उनके विरोधी भी करते हैं!

जब तक समाज के उच्च पदों पर आशीन समाज के नेता लोग अपनी अहम की लड़ाई लड़ते रहेंगे, तब तक समाज विखंडित होता रहेगा! समाज को आगे बढ़ाने के लिए सभी को अपना अहम खूंटी पर टांग कर एक दूसरे के साथ हाथ से हाथ और कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ना होगा! कब तक समाज के नेता अपने-अपने ईगो के चक्कर में समाज के टुकड़े करते रहेंगे, जब तक सिर्फ अपने बारे में सोचा जाएगा तब तक समाज की बलि चढ़ती रहेगी और अपने स्वार्थ को छोड़कर जिस दिन सभी नेता एक साथ एक मंच पर बिना किसी स्वार्थ के एक साथ आएंगे , तब इस समाज को रोकना असंभव हो जाएगा! बस अब समाज के सभी पदाधिकारीयो को सोचना है कि क्या करना है !

समाज के उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारी जब पदभार संभालते हैं तो शपथ लेते हैं कि मैं ऐसा कोई भी काम नहीं करूंगा जिससे समाज की गरिमा खंडित हो, लेकिन जैसे ही पद पर आशीन होते हैं, वह सभी अपनी शपथ को भूलकर अपने अहम की तुष्टि में लग जाते हैं ! अपने अहम की लड़ाई के चक्कर में समाज की हितों को भी भूल जाते हैं!

समाज के सभी पदाधिकारी समाज की सेवा के लिए पद को ग्रहण करते हैं , लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आती सेवा करने के लिए कौन लड़ता है , यह कैसे पदाधिकारी है जो लड़ेंगे झगड़ेंगे लेकिन सेवा करके मानेंगे, ऐसी सेवा की समाज को आवश्यकता नहीं है, जहां समाज का पैसा भी खराब हो रहा है, समाज के संसाधन भी खराब हो रहे हैं, समाज की शक्तियां भी खराब हो रही है और समाज का नाम भी खराब हो रहा है! कृपया करके समाज के सभी नेता कुछ ऐसा करें जिससे समाज भी आगे बढ़े और आप सबका भी नाम हो पाए , मर्जी है आपकी, क्योंकि समाज है आपका!
धन्यवाद

महेंद्र कुमार जैन (लारा)
1 क 03 शिवाजी पार्क अलवर

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